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________________ १. प्रशस्तिगत-आचार्यादिनाम्नामनुक्रमणिका विमलचूला (त. ग.) २४९ विनय प्रभसूरि (पू. प.) ८१ विमलप्रभमूरि २३४ विमलमण्डनगणि (त. ग.) २४८ विमलविजय (त. ग.) २४९- गणि ३७ विमलशशी १५५ विमलशान्ति ७९ विमलसागर १८६- गणि (त. ग.) ८१ विमलसूरि २५५, ३७९ - सूरि (रु. ग.) १९४, सूरि (ब्र. ग.) २७० विमलसोमसूरि (त. ग.) ३९३ । विमलहर्षगणि (त. ग) ५२, ५३, ५४, विमला साध्वी १९ विमलाचार्य १३१, १९३ विमलेन्दु (विमलचन्द्रसूरि) १९७ विलासजीगणि १२५ । विवेककल्याणसागर (अं. ग.) ४४६ विवेकचारित्रगण (त. ग.) १९९, २४८ विवेकचूला (त. ग.) २४९ विवेकदेवगण (त. ग.) २४७ विवेकधर्मगणि (त. ग.) २४९ विवेकप्रमोदगणि (त. ग) २४८ विवेकलाभगणि १२६ विवेकविजय २०५- गणि (त. ग.) २४७ विवेकविमलगणि ४१६ विवेकविलास १२९ विवेकशेखरगणि (अं. ग.) १९, ३०२ विवेकसिंहगणि (ख. ग.) ४४९ विवेकपुन्दरगणि (. त. ग.) ५१ विवेकहर्षगणि (त. ग.) २२८, २४८ विशाखनन्दि २५३ विशाखभूति २५३ विशालकीर्तिगणि ७९, १४७ विशालरत्नगणि (त. ग.) १०९, २४८ विशालराजसूरि (त. ग.) १००, १९८, ३१३, विशालराजेन्द्र देखो, विशालराजसूरि विशालसोमसूरि (त. ग.) ३९३ विशालसौभाग्यगणि (त. ग.) ११० विशेषसागरगणि ३१ विष्णा ऋषि (लु. ग.) ४०१ विष्णु ३०७ विष्णुदास ऋषि १६७ विष्णु मित्र २५४ विहारी ऋषि (लु. ग.) ९०, ४४, २७०, ३२४, ३७८, ४०१, ४१०, ४११, ४२० वीका ऋषि ३३ वीर ५४, ६७ वीरकलशगणि २६७- मुनि (पू. प.) ७८, ११० वीरगणि ७१, १७२ वीरचन्द्र मुनि १२३- सूरि (वि. प.) २३५ वीरदास ऋषि ९७ वीरदेवगणि ३११ वीरभद्द ४२, ४३, ३४९ वीरमसागर ३१- गणि (त. ग.) ५०, १५८ वीरसागर मुनि (सं. ग.) १८२ वीरसिंहसूरि २९० वीरसूरि (नागें. ग.) २८४, ३७९ वीरसेन १६२ वीराजी ऋषि १६७, ४३६ वीराचार्य ६० वीर्यचन्द्र १३५ वृद्धवादी ९८, ९९, २५९ वृद्धश्रीजी ५ वृद्धिविजयगणि ७, ५२, ५३, ५५, १३०, १३४ वृद्धिसागरगणि ३८५ वृद्धिसोममुनि ४२ वृषभसेन २११ वेलजी (चै. ग. दे. शा.) ८३ वैरस्वामी ११८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018008
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages364
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size17 MB
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