________________
www.jainelibrary.org
128999190925 Sughals airs 191
सदियां सागुरु लहडी शामगसम सहसा
मातवाद्वामखयपत्रमादिपदियंवरिमं।
समरसमयी
सागरखा सम-स दिवास सरवसमासंतरांत रहा।
२४u
गुरु अंतरमुते उसमा सखि । उसव सादी सम्पत महकमा समाधाव समा लिया लिय सिद्ध परंपरविद्याणि सामुद्दी व लघलावो वा खगुण धावसंख पाउड दतिरियालापाचाडु भित्र पसेका लामियाजा वरवरदा वाह/कम सो घावाउ संखगुणा।। दि वागवणमहादिमऊसुदरिनिसर्ट सराही गुणांयविदादा जंतु हा विल हम दिमवृतिसादादिमरू दरि राशिदादा हसातीयवादसमाजसंस्कार दिखी उठा मिनवसिखगुणाए सुंदराए । सित समाज-समागमनिसहसा घम यदीयाली इतिमदमिदिमवातामिद महाहिमव बियादामा वियनि साडविक त्या रंग दिया। कम तरह विदितिगसंखा समसमा Xमदुस १० होता। इससे वरणभावमा) सखी [ह] दिया जरिये मिसंख्गुए। २० अवस णिपिचरप सो एवं उस पित १० रामविरदिगा दुखविसमा नरस्यतिरीति शिदवीदि वाघाव से खाइग पाणदिति मन्महि अल नववािजा शद विसुरा । नारा नरस्य णाप्राप्तिरितिरि रारादिकारात (वेळ तुरागेननयलिंग / तिरषरितिपतिम् किमि एणसेगुएार तिलयर तिळपात सम जानिए काम मित्र आशा संपात बुबु संख्णा। मायामा वा सदन संखतिंग संखा समय ससह घाना। सेखि पाउससमा अनुययता साधावाचि सेख सेवा संखान्य गाजानमाम्यातलाच सय सिहावा वा मत दिया तमुधियजा पं जापानी समयपहिला उडिदारापानिजे दिल्या पासिल गन्ना णग । सिडाउकामा सेवा प्रवासन असा दमवसाय दिवस संगृहाणित गरगड गड युषीणायाम सालिदियो दसूरी का है मात्रामा १४३४ सदनि
खाणे
5
प्रतिसंख्याङ्कः ३७६५ – एतत् ग्रन्थगता प्राचीनतमा प्रतिः सिद्धपञ्चाशिका प्रकरणाभिधेयस्य ग्रन्थस्य, सं. १४३४ ।