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________________ किम् २८२ श्रेष्ठी गोत्र बूटिक ३५० २५ जेसलमेरुदुर्गस्थज्ञानभंडारग्रन्थसूचीगताना [तृतीय विशेषनाम पत्रांक विशेषनाम किम् पत्रांक बालचंद मुनि भणसाली गोत्र १९३, १९४, ३६४ श्रेष्ठी भद्रगुप्तसूरि १७३ बालप्रसाद भद्रबाहुस्वामि ११७, १२२, १७३, ३५९ बालबृहस्पति राजा(?) १७४ भद्रेश्वरसूरि १२८ बालोतरा प्राम ३२८ भरद्वाज बाह्ड श्रेष्ठी १२, ९१, ९५ भरमादेवी श्रेष्ठिनी बाहुपुर नगर भतृहरि ऋषि बाहुबल अमात्य भवभावना पने प्रथमवेला व्याख्यान बिकानेर १९१, १९४ नगर भवभावणा पढ़े द्वितीयवार व्याख्यान बिल्हण लेखक भवभावना पढ़े तृतीयवार व्याख्यान भवभावना चतुर्थवार व्याख्यान तिमिरपाटके ८७ बीकानेर नगर १९०, ३१६ भवभावना पढ़े पंचमवार व्याख्यान भवविरहसूरि बुद्धिसागरसूरि ८८, ९८, १०२, १०४, ११८, भंडशाली १०१, ३६४ १४२ मंडार नगर भंडारी गात्र बृहत्खरतरगच्छ २२६, २९७, ३०२, ३०६, ३१२, भाऊ श्रेष्ठिनी ३६० ३२२, ३२३, ३६४, भागुरि ग्रंथकार बृहत्खरतर वेगड़गच्छ २१४, २२६, २४१ भादा बृद्गच्छ भानुविमल गणि २९५ बोधक आचार्य भारतवर्ष बोधिस्थ श्रेष्ठी १०७ ४, ५, ८५ भारती गच्छ बोहडि भारती श्रेष्ठिनी बोहित्थ भार्गव महर्षि ब्रह्म गच्छ भावदेव श्रेष्ठी ब्रह्मचंद्रगणि लेखक भावधर्मवाचक २५६ , पंडित भावसुंदरयतेः व्रतोत्सव ब्रह्मदेव भानां श्रेष्ठिनी ब्रह्ममूर्ति उपाधि भांडकार ब्रह्मशांति ३१ यक्ष भांडशालिक शाखा ३५९ ब्रह्माण गच्छ ६१, ८६, १०१ भांडागार ११, १८२, १८४, १८६, १८७, ब्राह्मण ज्ञाति १३२ १९४, ३०९, ३२४, ३६४ भांडागारिक गोत्र २५ भिल्लमाल ८९, ११०, १११ भक्तिमंदिर लेखक-मुनि २०९, २१५, २२३, गोत्र २२५, २२७ वंश १३० श्रेष्ठी देश १०३ मुनि श्रेष्ठी १७९ २५४ २७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
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