SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 17
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अंतरमा रोपायु हतुं. आमां, अहीं जणाव्यु तेम, तेमना गुरु-प्रगुरुजीनो संशोधन क्षेत्रनो बारसो प्रधान वस्तु छे. त्यार बाद वि. सं. १९९९ मां पुरातत्त्वाचार्य मुनि श्री जिनविजयजीए, तेमना विद्वन्मंडल साथे जेसलमेरना भंडारो जोवा अने उपयोगी सामग्रीनी नकल करवा-कराववा माटे पांच मास पर्यंत जेसलमेरमा जे कार्य कर्यु ते प्रत्यक्ष सांभळीने पूज्यपाद आगमप्रभाकरजीनी जेसलमेर जवानी वृत्तिने वधु प्रोत्साहन मळ्यु. जा पछी सात वर्षना अंतरे जेसलमेर श्रीसंघनी तीर्थयात्रा प्रसंगना मेळा माटेनी योजना अने विनंति थतां तेओश्रीए जेसलमेर जवा माटे, वि. सं. २००६ना कार्तक वदि ७ ना दिवसे कपडवंजथी विहार करीने कार्तक वदि अमावास्याना दिवसे साबरमती आवीने वि. सं. २००६ना मागसर सुद १ ना दिवसे साबरमतोथी विहार को. अने वि. सं. २००६ना माह सुदि १२ ना दिवसे जेसलमेरमा प्रवेश कर्यो. ते ज दिवसे तेमनी सायेनुं विद्यामंडळ पण जेसलमेर पहोंच्यु मने बराबर स्मरण छे के कपडवंजथी जेसलमेरना मार्गमां पूज्यपाद आगमप्रभाकरजी अमदावाद, पाटण वगेरे जे जे स्थानोमां गया त्यां कोई पण समुदाय के गच्छना जे जे वडिल गुरुवरो हता तेभनी पासे जईने तेओए जेसलमेरना ज्ञानसंशोधनादि कार्य माटे विनीत भावे शुभाशीर्वाद मेळया हता. जेसलमेरना जैन ज्ञानभंडारो' जेसलमेरना ज्ञानभंडारोनी विशेष महत्ता तेमा रहेली प्राचीन-प्राचीनतम प्रतिओ अने केटलाक अन्यत्र अप्राप्य ग्रंथोने कारणे छे. आनो अर्थ ए नथी के गुजरात वगेरे प्रदेशोमां आवेला ज्ञानभंडारोनुं महत्त्व एथी ओळु छे. पाटण, खंभात, अमदावाद, सूरत अने अन्य प्रदेशोमां रहेला ज्ञानभंडारोमां एवा घणा ग्रन्थो छे, जेनुं मूल्यांकन आपणे जेसलमेरना ग्रंथोथी जरा पण भोछु न लेखीए. अर्थात् पाटण-खंभातना ताडपत्रीय ज्ञानभंडागेनी जेम ज जेसलमेरना ताडपत्रीय ज्ञानभंडारनुं स्थान छे. जेम जेसलमेरना भंडारमा अन्यत्र अप्राप्य अने प्राचीनतम विशिष्ट ग्रन्थो छे तेवू पाटण अने खंभातना भंडारोना संबंधमां छे. जेसलमेरना ज्ञानभंडारनुं सविशेष महत्त्व ए कारणे छे के सौप्रथम तो त्यां जq ए मुश्केल छे, त्यां गया पछी ए भंडारोने जोवानी अनुकूळता मळवी मुश्केल छे. अने पूरती धीरजथी आखा भंडारने तपासवान कार्य तो घणुंज अघरं छे. आ परिस्थितिमां ए ज्ञानभंडारोनुं निरीक्षण बहु ओछु थयुं होई तेमांना साहित्यनो ख्याल भने उपयोग घणा ओछा करी शक्या छे. तेथी विद्वानोना मनमां तेनी महत्ता आज पर्यन्त जळवाई रही छे. जे जे विद्वानो त्यां गया तेमणे सौए पोता पूरतुं अमुक कार्य कर्यु होई तेनो व्यापक परिचय १. जेसलमेरना ज्ञानभंडारोना विविधविषयक ग्रन्थोना परिचय माटे पं. श्री लालचन्द्र भगवान गांधीए लखेली श्री सी. डी. दलाल संपादित "जेसलमेर जैन भाण्डागारीयग्रन्थानां सूचिपत्रम्” (सेंट्रल लाइब्रेरी-वडोदरा द्वारा प्रकाशित) ग्रन्थनी पांडित्यपूर्ण प्रस्तावना जोवा भलामण के. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018005
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Jesalmer Collection
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages522
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy