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विद्वान उपरथी कृति माहिती भुवनसुन्दरसूरि-आचार्य परमब्रह्मोत्थापनवादस्थल सं.\ श्रीवीरं जिनमान (भांका२१४) युगादिजिनस्तवन कुल्पपाकमण्डन। सं. महाभाग्यसौभाग्य (पाकाहेम१२१४३) भूपाल-जैनकवि
चतुर्विंशतिकास्तोत्र सं. श्रीलीलायतनं मह (पाकाहेम७४०२) भूषणभट्टसुत-जैनेतर
लीलावती\ अप. श्लोक१८००\ नमह सरोससुअरिसण (पातासंघवी६६-२) भोजदेव महाराजा-जैनेतर
सरस्वतीकण्ठाभरण। सं.प्रा. (पातासंघवी१०२-१) मङ्गलसूरि-आचार्य
महावीरकलश अप. गा.१७ श्रेयः पल्लवयन् (पाकाहेम१०२३) मणिकण्ठ मिश्र-जैनेतर
न्यायरत्न सं.\ श्लोक१४७५ (पाकाहेम७२५०) मण्डन-कवि अलङ्कारमण्डन। सं. (पाकाहेम९४९१) उपसर्गमण्डन\ सं. श्लोक४४५ (पाकाहेम६८०२, पाकाहेम६८०३, पाकाहेम९४८९) काव्यमनोहर सं. (पाकाहेम६८०४) चन्द्रविजयप्रबन्ध सं. (पाकाहेम९४९२) चम्पूमण्डन। सं. (पाकाहेम६८०१, पाकाहेम९४९०) शृङ्गारमण्डन। सं. (पाकाहेम९४८८) मण्डन मन्त्री-जैनेतर
मण्डनकादम्बरीदर्पण सं. सहस्रन्मङ्गलं न (पाकाहेम९४८७) मतिनन्दन गणि-उपाध्याय-खरतरगच्छ\ गुरु-उपाध्याय धर्मचन्द्र गणि
धर्मविलास\ सं. विश्वत्रयीजन्तु (पुप्रे४१७) मनोहर (दिग.)-मुनि
धर्मपरीक्षा हिन्दी\ गा.१०८३ पणमुं अरहन्तदेव (भांका२९०) मन्मथ सिंह- विद्यासिंहपुत्र-जैनश्रावक
सूक्तरत्नाकर सं.\ श्लोक४३४०\ जीयाज्जगन्मङ्गल (पातासंघवी१४९) मम्मट-कवि (प्र. नाम-अज्ञात-राजानक मम्मट)
काव्यप्रकाश सं. नियतिकृतिनियमरह (जेताजि३२२, जेताजि३२३, पातासंघवीजीर्ण७७, तालाद३९१-२) मयूर-कवि
सूर्यशतक\ सं. ग्रं.२६२\ का.१०० (पाकाहेम१०७००) मलयगिरिसूरि-आचार्य
आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण प्राचीन चतुर्थ कर्मग्रन्थ षड्शीति-(सं.)वृत्ति सं. (पातासंघवी६५-२, पातासंघवी१२७-२) कर्मप्रकृति-(सं.)टीका\ सं. प्रणम्य कर्मद्र (जेताजि१७३, पाताहेसं१७२, खंता१४४, जेकाजि१२८४, भांका१२०,
भांका२३१) चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.९५०० मुक्ताफलमिव करत (जेताजि३७, पातासंघवी२०, पातासंघवी४४, पातासंघवी३४-१, खंता२२, जेकाजि३०, पाकाहेम६५६७, पाकाहेम१००२१, पाकाहेम१०४०२, पाकाहेम१०४७२, पाकाहेम१४९१५, भांका२६५) जीवाभिगमसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.१४००० (जेताजि२६, पातासंघवी१०, जेकाजि२४, पाकाहेम१४८५४, पाकाभाभा१३) ज्योतिष्करण्डकसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.५००० स्पष्टं चराचरं (जेताजि१४८, पातासंघवीजीर्ण६९, जेकाजि६०,
पाकाहेम६५७२, पाकाहेम१००९३, भांका२२९) धर्मसङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)वृत्ति सं.\ यथास्थिताशेषपदा (पातासंघवीजीर्ण६, पातासंघवी४५, जेकाजि७५,
पाकाहेम६६६२) नन्दीसूत्र-(सं.)वृत्ति। सं. ग्रं.७७३२\ जयति भुवनैकभानु (जेताजि७७, पातासंघवीजीर्ण१९, पातासंघवी३७, खंता३८,