________________ [शब्दरूपावलिः] (167) [प्राकृत] अभिधानराजेन्द्रपरिशिष्टम् 3 / उकारान्तः स्त्रीलिङ्गो घेणुशब्दः / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा जा। जाओ, जाउ,जा। द्वितीया जाओ, जाउ, जा। जाए, जाअ, जाइ। जाहिं, जाहि जाहि। जाए,जाअ,जाइ। जाणं,जाण। पञ्चमी जाए, जाअ, जाइ, जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो, जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिंन्तो, जासुन्तो। जम्हा / षष्ठी जाए, जाअ,जाइ। जाणं, जाण। सप्तमी जाए,जाअ,जाइ। जासु, जासु। ज। तृतीया तुर्थी विभक्ति, प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पञ्चमी प्रकृत्यन्तरेण यच्छब्दरूपाणि / एकवचन। बहुवचन / जा ('किंयत्तदोऽस्यमामि / / 8 / 3.33 // सि अम् आम् जीओ, जीउ, जीआ, जी। वर्जिते स्यादौ परे एभ्यः स्त्रियां डी / जीओ। . अस्यमामीति किम्। जा, जं, जाण।) जीओ, जीउ, जीआ, जी। जीअ, जीआ, जीइ, जीए। जीहिं, जीहि ,जीहि। जीअ, जीआ, जीइ, जीए, जिस्सा, जीसे। जाणं,जाण। जीअ, जीआ, जीइ, जीए, जित्तो, जीओ, जीउ.) जित्तो, जीओ, जीउ, जीहिन्तो, जीसुन्तो। जीहिन्तो। जीअ, जीआ,जीइ,जीए, जिस्सा,जीसे। जाणं, जाण। जीअ, जीआ, जीइ, जीए। जीसुं, जीसु। षष्ठी सप्तमी विभक्ति, प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी तच्छब्दरूपाणि / एकवचन। बहुवचन। सा, ता, णा ('तदो णः स्यादौ क्रचित् / / 8 / 370 / / ताओ, ताउ, ता। तदः स्थाने स्यादौ परे ण आदेशो भवति क्वचिद् लक्ष्यानुसारेण / स्त्रियामपि / हत्थुन्नामिअमुही णं तियटा। तां त्रिजटेत्यर्थः / भणिअंच णाए, तयेत्यर्थः / णाहिं कयं, ताभिः कृतमित्यर्थः।) तं,णं। ताओ, ताउ, ता। णाए,ताए, ताअ, ताइ। तार्हि, ताहिँ, ताहि, णाहिं, णाहिँ,णाहि। ताए, ताअ, ताइ, तास(बहुलाधिकारात् किंतद्भ्यामा- ताणं, ताण, ताम। कारान्ताभ्यामपि डासादेशो वा ! तासधणं / पक्षे ताए।) ताए, ताअ, ताइ, तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो, तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो, तासुन्तो। तो, तम्हा / ताए, ताअ, ताइ, तास। ताणं, ताण, तास। ताए, ताअ, ताइ। तासुं, तासु। पञ्चमी षष्ठी सतभी प्रकृत्यन्तरेण तच्छब्दरूपाणि / विभक्ति, एकवचन। बहुवचन / प्रथमा सा,ता, णा। तीओ, तीउ, तीआ,ती। द्वितीया तं,णं। तीओ, तीउ, तीआ,ती। तृतीया तीअ, तीआ, तीइ, तीए। तीहिं, तीहिँ, तीहि। चतुर्थी तीअ, तीआ, तीइ, तीए, तिस्सा, तीसे। ताणं, ताण।