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________________ GSPOPOPPORDPORDPOPOROPIDIOPOROPOPOनगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगगनाइ {61) पाणातिवातकिरिया णं भंते ! पुच्छा। मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सहत्थपाणातिवातकिरिया य परहत्थपाणाति- वातकिरिया य। (व्या. प्र. 3/3/7) [प्र.] भगवन् ! प्राणातिपात-क्रिया कितने प्रकार की कही गई है? [उ.] मण्डितपुत्र! प्राणातिपात-क्रिया दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार है:- स्वहस्त-प्राणातिपात-क्रिया और परहस्त-प्राणातिपात-क्रिया। 如听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {62) पादोसिय अधिकरणिय कायिक परिदावणादिवादाए। एदे पंचपओगा किरियाओ होंति हिंसाओ। (भग. आ. 801) — (टीका) पादोसियशब्देनेष्टदारवित्तहरणादिनिमित्तः कोषः प्रद्वेष इत्युच्यते। प्रद्वेष एव ॐ प्राद्वेषिको यथा विनय एव वैनयिकमिति। हिंसाया उपकरणमधिकरणमित्युच्यते । 卐 हिंसोपकरणादानक्रिया। आधिकरणिकी। दुष्टस्य सतः कायेन वा चलनक्रिया कायिकी। परितापो卐 ॐ दु:खं दु:खोत्पत्तिनिमित्ता क्रिया पारितापिकी। आयुरिन्द्रियबलप्राणानां वियोगकारिणी प्राणातिपातिकी। एदे पंच पओगा एते पञ्च प्रयोगाः। हिंसाकिरिआओ' हिंसासम्बन्धिन्यः क्रियाः॥ (भग. आ. विजयो. 801) प्रयोग अर्थात् हिंसा से सम्बन्ध रखने वाली पांच क्रियाएं हैं- (1) प्राद्वेषिकी, (2) आधिकरणिकी, (3) कायिकी, (4) पारितापनिकी, (5) प्राणातिपातिकी। (टीका) 'पादोसिय' शब्द से इष्ट स्त्री, धन हरने आदि के निमित्त से होने वाले कोप प्रद्वेष का कथन किया गया है। प्रद्वेष ही प्राद्वेषिक (क्रिया) है, जैसे विनय ही 卐 वैनयिक है। हिंसा के उपकरण को अधिकरण कहते हैं। हिंसा के उपकरणों का लेन-देन आधिकरणिकी क्रिया है। दुष्टतापूर्वक हलन-चलन करना कायिकी क्रिया है। परिताप का अर्थ दुःख है। दुःख की उत्पत्ति में निमित्त क्रिया पारितापिकी है। आयु, इन्द्रिय और बल प्राणों का वियोग करने वाली क्रिया प्राणातिपातिकी है। प्रयोग यानी हिंसा से सम्बन्ध के 卐 रखने वाली- ये पांच क्रियाएं है। UUEUEUEUEUEUEUEUELELELELELELELELEUglalaugos 0999999999999 अहिंसा-विश्वकोश।191
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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