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________________ N LELEUEUEUELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELELE הפתפּתּפּףפּתפתבהפיכתכתבתבחפיפהפיפיפיפיפיפיפיפתפתפתפּףפּיפּיפּתּפּחפּתפתבר {901) ईर्याभाषैषणादाननिक्षेपोत्सर्गसंज्ञकाः । सद्भिः समितयः पञ्च निर्दिष्टाः संयतात्मभिः॥ (ज्ञा. 18/3/888) ___ संयम-धारी सत्पुरुषों ने ईर्या, भाषा, एषणा, आदान-निक्षेप और उत्सर्ग नामों वाली ॐ पांच समितियां निर्दिष्ट की हैं। {902) सम्यग्गमनागमनं सम्यग्भाषा तथैषणा सम्यक् । सम्यग्ग्रहनिक्षेपौ व्युत्सर्गः सम्यगिति समितिः॥ (पुरु. 7/7/203) सावधानी से देख-भाल कर जाना-आना, उत्तम हित-मित वचन बोलना, 卐 ॐ योग्य आहार का ग्रहण करना, पदार्थ का यतना-पूर्वक ग्रहण करना तथा यतना-पूर्वक रखना और प्रासुक भूमि देखकर मल-मूत्रादि का त्याग करना-इस प्रकार ये पांच समितियां हैं। 1903) ई-भाषेषणादान-निक्षेपोत्सर्ग-संज्ञिकाः । पञ्चाहुः समितीस्तिस्रो गुप्तीस्त्रियोगनिग्रहात्॥ _ (है. योग. 1/35 ) ___ ईर्या-समिति, भाषा समिति, एषणा समिति, आदान-निक्षेप-समिति और उच्चारप्रस्रवणखेलजल्लसिंघाणपरिष्ठापनिका (उत्सर्ग) समिति- ये पांच समितियां हैं; और तीन योगों का निग्रह करने वाली क्रिया 'गुप्ति' है जो मनोगुप्ति, वचनगुप्ति तथा कायगुप्ति के म 卐 भेद से तीन प्रकार की कही गई है। अहिंसा-विश्वकोश/3631
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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