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________________ *$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 卐 卐卐 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 (अहिंसा आदि महाव्रत) महाव्रत हैं। (877) महाव्रतानि साधूनामहिंसा सत्यभाषणम् । अस्तेयं ब्रह्मचर्यं च निर्मूर्च्छा चेति पञ्चधा ॥ 1. अहिंसा, 2. सत्य भाषण, 3. अचौर्य, 4. ब्रह्मचर्य और 5. अपरिग्रह- ये पांच (878) सच्चवणं अहिंसा अदत्तपरिवज्जणं च रोचंति । तह बंभचेरगुत्ती परिग्गहादो विमुत्तिं च ॥ (879) पाणिवह मुसावादं अदत्त मेहुण परिग्गहं चेव । तिविहेण पडिक्कंते जावज्जीवं दिढधिदीया ॥ (दीक्षा ग्रहण के अनन्तर मुनि) सत्य वचन, अहिंसा, अदत्त त्याग ( अचौर्य), ब्रह्मचर्य, गुप्ति और 'परिग्रह से मुक्ति'- इन (पांच) व्रतों की रुचि करते हैं। (ह. पु. 18/43) (880) हिंसाविरदी सच्च अदत्तपरिवज्जणं च बंभं च । संगवित्तीय तहा महव्वया पंच पण्णत्ता ॥ (मूला. 9/781) प्राणिवध, असत्यवचन, अदत्तग्रहण, मैथुन सेवन और परिग्रह- इनका दृढ़ बुद्धि वाले पुरुष जीवन पर्यन्त के लिए मन-वचन-काय से त्याग कर देते हैं । त्याग - ये पांच महाव्रत जिनेन्द्र देव द्वारा कहे गये हैं । (मूला. 9/782 ) [ जैन संस्कृति खण्ड /356 हिंसा का त्याग, सत्य बोलना, अदत्त वस्तुग्रहण का त्याग, ब्रह्मचर्य और परिग्रह (मूला. 1/4 ) 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 卐
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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