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________________ (हिंसा-उपकरणों का वितरण त्याज्य) (746) मजार-पहुदि-धरणं आउह-लोहादि-विक्कणं जं च। लक्खा-खलादि-गहणं अणत्थ-दण्डो हवे तुरिओ॥ (स्वा. कार्ति. 12/347) बिलाव आदि हिंसक जन्तुओं का पालना, लोहे तथा अस्त्र-शस्त्रों का देना-लेना है और लाख, विष वगैरह का देना-लेना चौथा अनर्थदण्ड है। {747) असिधेनुविषहुताशनलाङ्गलकरवालकार्मुकादीनाम्। वितरणमुपकरणानां हिंसायाः परिहरेद्यनात् ॥ (पुरु. 4/108/144) छुरी, विष, अग्नि, हल, तलवार, धनुष आदि हिंसा के उपकरणों का वितरण करना-दूसरों को देना, इनका भी प्रयत्नपूर्वक त्याग करना चाहिये। %弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱 如听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 (748 यंत्र-लांगल-शस्त्राग्नि-मूसलोदूखलादिकम्। दाक्षिण्याविषये हिंस्रं नार्पयेत् करुणापर :॥ (है. योग. 377) पुत्र आदि स्वजन के सिवाय अन्य लोगों को यंत्र (कोल्हू), हल, तलवार आदि हथियार, अग्नि, मूसल, ऊखली आदि हिंसाकारक वस्तुएं दयालु श्रावक नहीं दे। {7491 तद्वच्च न सरेद् व्यर्थं न परं सारयेन्नहि। जीवघ्रजीवान् स्वीकुर्यान्मार्जारशुनकादिकान्॥ (सा. ध. 5/11) बिना प्रयोजन पृथ्वी खोदने आदि की तरह, बिना प्रयोजन हाथ- पैर आदि का टहलन-चलन न स्वयं करे और न दूसरे से करावे। प्राणियों का घात करने वाले कुत्ता-बिल्ली म आदि जन्तुओं को भी नहीं पाले। REEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE N A अहिंसा-विश्वकोश।3131
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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