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________________ 明明明 弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱弱$$$$$$ 听听听听听听 EYESTEETHREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEma कर्मादानों का विशेषण इस प्रकार है अंगार-कर्म-अंगार का अर्थ कोयला है। अंगार-कर्म का मुख्य अर्थ कोयले बनाने का धंधा करना है। जिन 卐 कामों में अग्नि और कोयलों का बहुत ज्यादा उपयोग हो, वे काम भी इसमें आते हैं; जैसे ईंटों का भट्टा, सीमेंट का卐 卐 कारखाना आदि। इन कार्यों में घोर हिंसा होती है। वन-कर्म- वे धन्धे, जिनका सम्बन्ध वन के साथ है, वन-कर्म में आते हैं; जैसे- कटवा कर जंगल साफ卐 ॐ कराना, जंगल के वृक्षों को काट कर लकड़ियां बेचना, जंगल काटने के ठेके लेना आदि। हरी वनस्पति के छेदन, भेदन卐 तथा तत्सम्बद्ध प्राणि-वध की दृष्टि से ये भी अत्यन्त हिंसा के कार्य हैं। शकट-कर्म-शकट का अर्थ गाड़ी है। यहां गाड़ी से तात्पर्य सवारी या माल ढोने के सभी तरह के वाहनों से है। ऐसे वाहनों को, उनके भागों या कल-पुों को तैयार करना, बेचना आदि शकट-कर्म में शामिल है। आज की स्थिति में रेल, मोटर, स्कूटर, साईकिल, ट्रक, ट्रैक्टर, आदि बनाने के कारखाने भी इसमें आ जाते हैं। भाटीकर्म- भाटी का अर्थ भाड़ा है। बैल, घोड़ा ऊंट, भैंसा, खच्चर आदि को भाड़े पर देने का व्यापार। स्फोटन-कर्म-स्फोटन का अर्थ तोड़ना या खोदना है। खानें खोदने, पत्थर फोड़ने, कुए, तालाब तथा बावड़ी आदि खोदने का धंधा स्फोटन-कर्म में आते हैं। दन्त-वाणिज्य- हाथी-दांत का व्यापार इसका मुख्य अर्थ है। वैसे हड्डी, चमड़े आदि का व्यापार भी 15 उपलक्षण से यहां ग्रहण कर लिया जाना चाहिए। लाक्षावाणिज्य- लाख का व्यापार । रसवाणिज्य- मदिरा आदि मादक रसों का व्यापार । वैसे रस शब्द सामान्यतः ईख एवं फलों के रस के लिए भी प्रयुक्त होता है, किन्तु यहां वह अर्थ नहीं है। शहद, मांस, चर्बी, मक्खन, दूध, दही, घी, तैल आदि के व्यापार को भी कई आचार्यों ने रसवाणिज्य में ग्रहण किया है। विषवाणिज्य- तरह-तरह के विषों का व्यापार । तलवार, छुरा, कटार, बन्दूक, धनुष, बाण, बारूद, पटाखे आदि हिंसक व घातक वस्तुओं का व्यापार भी विष-वाणिज्य के अन्तर्गत लिया जाता है।' केशवाणिज्य- यहां प्रयुक्त केश शब्द लाक्षणिक है। केश-वाणिज्य का अर्थ दास, दासी, गाय, भैंस, बकरी, भेड़, ऊंट, घोड़े आदि जीवित प्राणियों की खरीद-बिक्री आदि का धन्धा है। कुछ आचार्यों ने चमरी गाय की पूंछ के बालों के व्यापार को भी इसमें शामिल किया है। इनके चंवर बनते हैं। मोर-पंख तथा ऊन का धन्धा केशवाणिज्य में नहीं लिया जाता। चमरी गाय के बाल प्राप्त करने तथा मोर-पंख प्राप्त करने में खास भेद यह है कि बालों के लिए चमरी गाय को मारा जाता है, ऐसा किए बिना वे प्राप्त नहीं होते। मोर-पंख व ऊन प्राप्त करने में ऐसा नहीं है। मारे जाने के कारण को लेकर चमरी गाय के बालों का व्यापार इसमें लिया गया है। यंत्रपीडनकर्म-तिल, सरसों, तारामीरा, तोरिया, मूंगफली, आदि तिलहनों से कोल्हू या घाणी द्वारा तैल ॐ निकालने का व्यवसाय। निलाछनकर्म- बैल, भैंसे आदि को नपुंसक बनाने का व्यवसाय। दवाग्निदापन- वन में आग लगाने का धन्धा। यह आग अत्यन्त भयानक और अनियंत्रित होती है। उसमें ॐ जंगल के अनेक जंगम-स्थावर प्राणियों का भीषण संहार होता है। सरहदतडागशोषण- सरोवर, झील, तालाब आदि जल-स्थानों को सुखाना। असती-जन-पोषण- व्यभिचार के लिए वेश्या आदि का पोषण करना, उन्हें नियुक्त करना। श्रावक के लिए यह वास्तव में निन्दनीय कार्य है। इससे समाज में दुश्चरित्रता फैलती है, व्यभिचार को बल मिलता है। आखेट-हेतु शिकारी कुत्ते आदि पालना, चूहों के लिए बिल्लियां पालना-ये सब भी असती-जन-पोषण卐 卐के अन्तर्गत आते हैं। ENTERNEYEEEEEEEEERUFFEREFREEEEEEEEE अहिंसा-विश्वकोश।3011 明明明明明明明 明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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