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________________ $$$ 45 $$$$$$$$$ 箭 事 筑 $$$$$$ 卐 卐 卐 编卐卐卐卐卐卐卐卐卐 (ब्रहाचारी के लिए अणुव्रत पालनीय-) (695) ततोऽस्याधीतविद्यस्य व्रतवृत्त्यवतारणम्। विशेषविषयं तच्च स्थितस्यौत्सर्गिके व्रते ॥ मधुमांस परित्यागः पञ्चोदुम्बरवर्जनम् । हिंसादिविरतिश्चास्य व्रतं स्यात् सार्वकालिकम् ॥ 筑 馬 समस्त विद्याओं का अध्ययन कर लेने के बाद उस ब्रह्मचारी की व्रतावतरण क्रिया 卐 होती है। इस क्रिया में वह साधारण व्रतों का तो पालन करता ही है परन्तु अध्ययन के समय जो विशेष व्रत ले रखे थे उनका परित्याग कर देता है । इस क्रिया के बाद उस के लिए मधुत्याग, मांसत्याग, पांच उदुम्बर फलों का त्याग और हिंसा आदि पांच स्थूल पापों का , ये सदा काल अर्थात् जीवन पर्यन्त रहने वाले पालनीय व्रत रह जाते हैं । 卐 त्याग, (696) एवंप्रायेण लिङ्गेन विशुद्धं धारयेद् व्रतम् । स्थूलहिंसाविरत्यादि ब्रह्मचर्योपबृंहितम् ॥ हिंसा का त्याग (अहिंसाणुव्रत) आदि व्रत धारण करे । o स्थावर - हिंसा से अहिंसा अणुव्रत भंग नहीं: (शास्त्रीय शंका-समाधान ) 编卐卐卐事, ( आ. पु. 38 / 121-122) ब्रह्मचारी को चाहिए कि वह व्रतोचित चिह्नों से विशुद्ध और ब्रह्मचर्य के साथ स्थूल רכרכרכרכרכרכרכרכן בפח (311. g. 38/114) (697) तसपाणघायविरई तत्तो थावरगयाण नागरग-वहनिवित्ती - नायाओ इ पच्चक्खायंमि इहं नागरगवहम्मि निग्गयं पि तओ । वह भावा । नेच्छति ॥ तं वहमाणस्स न किं जायइ वहविरइभंगो उ॥ इय अवि सेसा तसपाणघायविरई काउ तं तत्तो । 新编 अहिंसा - विश्वकोश। 2891 $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 卐
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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