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________________ H ~~~~~~~~~~~~~~~~~ E EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEMA {683 अगारिणां विरतिपरिणामविकल्पो निरूप्यते। स्थूलकृतप्राणातिपातादिकं ॥ 卐 कृतकारितानुमतविकल्पात् त्रिविधं मनोवाक्कायविकल्पैन त्यजति। मनसा स्थूलकृतप्राणातिपातादिकं न करोमि, तथा वचसा कायेनेति त्रिविधं कृतम्। मनसा स्थूलकृतं प्राणातिपातादिकं न कारयामि तथा वचसा कायेन चेति त्रिविकल्पं कारितम्। 卐 तथा मनसा स्थूलकृतप्राणातिपातादिकं नानुजानामि, तथा वचसा कायेन चेति ॥ त्रिभेदमनुमननम्। एवं नवविधं स्थूलकृतप्राणवधादिकं त्यक्तुमशक्तोऽगारी। तथा मनोवाग्भ्यां स्थूलकृतप्राणातिपातादिकं कृतकारितानुमतिविकल्पात्त्रिविधं कर्तुमशक्तो मनसा न करोमि, न कारयामि, नानुजानामि। वचसा न करोमि, न कारयामि 卐 नानुजानामि इति । कायेन कृतकारितानुमतविकल्पान् हिंसादींश्च न समर्थो विहातुम्। तथा च सूत्रम् 'न खु तिविधं तिविधेण य दुविधेक्कविधेण वापि विरमेज्ज' इति ॥ कथं तहगारी विरतिमुपैति? अत्रोच्यते- कृतकारितविकल्पाद्विप्रकार म हिंसादिकं मनोवाक्कायैस्त्यजति । वाचा कायेन वा हिंसादिविषयं कृतकारितं त्यजति । कायेन एकेन वा कृतं कारितं त्यजति। अत एवोक्तं 'दुविधं पुण तिविधेण यई दुविधेक विधेण वा विर मेज्ज' इति। अथवा हिंसायाः स्वयं करणमेकं मनोवाक्कायैस्त्यजति । नाहं मनसा वाचा कायेन स्थूलकृतप्राणातिपातादिकं पंचकं 卐 करोमीति अभिसंधिपूर्वकं विरमणं करोति। वाक्कायाभ्यां वा स्वयं करणं त्यजति ॥ ॥ कायेनैकेन वा। तथा चोक्तम्-'एकविधं तिविधेण वापि विरमेज्ज' इति। (भग. आ. विजयो. 118) अब गृहस्थों के विरतिरूप परिणामों के भेद कहते हैं-कृत, कारित और अनुमत के भेद से तीन भेदरूप स्थूल हिंसा आदि को गृहस्थ मन-वचन-काय से नहीं त्यागता है। मन जसे स्थूल हिंसा आदि को नहीं करता हूं तथा वचन से और काय से नहीं करता हूं, ये तीन भेद 卐कृत के हैं। मन से स्थूल हिंसा आदि को न कराता हूं तथा वचन से और काय से नहीं कराता है ॐ हूं, ये तीन भेद कारित के हैं। तथा मन से स्थूल हिंसा आदि में अनुमति नहीं देता हूं तथा । वचन से और काय से अनुमति नहीं देता हूं- ये तीन भेद अनुमत के हैं। इस प्रकार नौ प्रकार 卐 की स्थूल हिंसा आदि का त्याग करने में गृहस्थ असमर्थ होता है। तथा कृत-कारित-अनुमत ' के भेद से तीन भेदरूप स्थूल हिंसा आदि को मन और वचन से करने में असमर्थ होता है। मन से न करता हूं, न कराता हूं और न अनुमति देता हूं। वचन से न करता हूं, न कराता हूं EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE अहिंसा-विश्वकोश। 283] 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 明明明明明明明 R
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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