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________________ 編編編 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 筑 節 馬 筑 ● अहिंसा का पोषक : अब्रहाचर्य (हिंसा और अब्रहचर्य) (475) अहिंसादयो गुणा यस्मिन् परिपाल्यमाने बृंहन्ति वृद्धिमुपयान्ति तद् ब्रह्म । (Haf. 7/16/693) अहिंसादिक गुण जिसके पालन करने पर बढ़ते हैं वह 'ब्रह्म' कहलाता है। 新卐節 (476) अहिंसादिगुणा यस्मिन् बृंहन्ति ब्रह्मतत्त्वतः । अब्रह्मान्यत्तु रत्यर्थं स्त्रीपुंसमिथुनेहितम् ॥ ● हिंसात्मक कार्य: अब्रहा-रोवन (ह. पु. 58 / 132 ) जिसमें अहिंसादि गुणों की वृद्धि हो वह वास्तविक 'ब्रह्मचर्य' है। इससे विपरीत सम्भोग के लिए स्त्री-पुरुषों की जो चेष्टा है वह 'अब्रह्म' है। $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ (477) मूलं सुव्वतत्थ तत्थ वत्तपुव्वा संगामा जणक्खयकरा सीयाए, दोवईए 卐 कए, रुप्पिणीए, पउमावईए, ताराए, कंचणाए, रत्तसुभद्दाए, अहिल्लियाए, 卐 सुवण्णगुलियाए, किण्णरीए, सुरूवविज्जुमईए, रोहिणीए य, अण्णेसु य एवमाइएस बहवे महिलाकएसु सुव्वंति अइक्कंता संगामा गामधम्ममूला अबंभसेविणो । 卐 ברברבן सीता के लिए, द्रौपदी के लिए, रुक्मिणी के लिए, पद्मावती के लिए, तारा के लिए, काञ्चना के लिए, रक्तसुभद्रा के लिए, अहिल्या के लिए, स्वर्णगुटिका के लिए, किन्नरी के (प्रश्न. 1/4/सू.91) 卐 ♛ वाले विभिन्न ग्रन्थों में वर्णित जो संग्राम हुए सुने जाते हैं, उनका मूल कारण अब्रह्मचर्य ही 翁 馬 馬 लिए, सुरूपविद्युन्मती के लिए और रोहिणी के लिए पूर्वकाल में मनुष्यों का संहार करने क था - अब्रह्म - सेवन सम्बन्धी वासना के कारण ये सब महायुद्ध हुए हैं। इनके अतिरिक्त, महिलाओं के निमित्त से अन्य संग्राम भी हुए हैं, जो अब्रह्ममूलक थे । 编 新编编卐卐编编 अहिंसा - विश्वकोश | 2071 馬 卐 卐 卐 翁
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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