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________________ 蛋 蛋蛋蛋 की वस्तु को अथवा (आधुनिक डकैतों की भांति फिरौती लेने आदि के उद्देश्य से ) पुरुष का 卐 अपहरण करते हैं, जो खात (बारूदी सुरंग आदि बिछाने) खोदने वाले हैं, गांठ काटने वाले हैं, जो परकीय धन का हरण करने वाले हैं, (जो निर्दयता या भय के कारण अथवा आतंक 馬 卐 卐 फैलाने के लिए) मारने वाले हैं, जो वशीकरण आदि का प्रयोग करके धनादि का अपहरण करने वाले हैं, सदा दूसरों के उपमर्दक, गुप्तचोर, गो-चोर-गाय चुराने वाले, अश्व-चोर एवं दासी को चुराने वाले हैं, अकेले चोरी करने वाले, घर में से द्रव्य निकालने वाले, चोरों को 卐 बुला कर दूसरों के घर में चोरी करवाने वाले, चोरों की सहायता करने वाले, चोरों को 馬 भोजनादि देने वाले, उच्छिपक-छिप कर चोरी करने वाले, सार्थ समूह को लूटने वाले, 事 दूसरों को धोखा देने के लिए बनावटी आवाज में बोलने वाले, राजा द्वारा निगृहीत- दंडित 事 एवं छलपूर्वक राजाज्ञा का उल्लंघन करने वाले, अनेकानेक प्रकार से चोरी करके परकीय द्रव्य को हरण करने की बुद्धि वाले, ये लोग तथा इसी कोटि के अन्य अन्य लोग, जो दूसरे के द्रव्य को ग्रहण करने की इच्छा से निवृत्त (विरत) नहीं है अर्थात् अदत्तादान के त्यागी 筑 卐 नहीं है - जिनमें परधन के प्रति लालसा विद्यमान हैं, वे (पूर्वोक्त हिंसक प्रकार से) चौर्य卐 कर्म में प्रवृत्त होते हैं। {473} अदिण्णादाणं हर - दह - मरणभय - कलुस - तासण- परसंतिग- अभेज्ज-लोभ मूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिण्ण-तण्हपत्थाण - पत्थोइमइयं अकित्तिकरणं अण्णज्जं छिद्दमंतर - विहुर- वसण- मग्गण-उस्सवमत्त - प्पमत्त - पसुत्त - वंचणक्खिवण♛ घायणपरं अणिहुयपरिणामं तक्कर - जणबहुमयं अकलुणं रायपुरिस-रक्खियं सया 卐 साहु - गरहणिज्जं पियजण - मित्तजण - भेय - विप्पिइकारगं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पूरसमरसंगामडमर -कलिकलहवेहकरणं दुग्गइविणिवायवड्ढणं- भवपुणब्भवकरं चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं । 請 卐 筑 筑 卐 (प्रश्न. 1/3/सू.60) 馬 馬 筑 卐 अदत्तादान - अदत्त - बिना दी गई किसी दूसरे की वस्तु को आदान-ग्रहण करना fi (परकीय पदार्थ का) हरण रूप है। हृदय को जलाने वाला है। मरण और भय रूप अथवा 卐 मरण-भय रूप है। पापमय होने से कलुषित-मलिन है। परकीय धनादि में रौद्रध्यानस्वरूप मूर्च्छा-लोभ ही इसका मूल है। विषमकाल- आधी रात्रि आदि और विषमस्थान - पर्वत 筆 सघन वन आदि स्थानों पर आश्रित है अर्थात् चोरी करने वाले विषम काल और विषम देश 卐 की तलाश में रहते हैं। यह अदत्तादान निरन्तर तृष्णाग्रस्त जीवों को अधोगति की ओर ले जाने वाली बुद्धि वाला है अर्थात् चोरी करने वाले की बुद्धि ऐसी कलुषित हो जाती है कि 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 卐 अहिंसा - विश्वकोश | 205 J
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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