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________________ - {444) EFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFERENA परिग्रहस्य च त्यागे तिष्ठन्ति निश्चलान्यहिंसादीनि। (भग. आ. 1119) परिग्रह का त्याग करने पर (ही) अहिंसा आदि व्रत स्थिर रह पाते हैं। 明明明$$$$$$$$$$$$$$$$$$ {445) परिग्गहस्सेव य अट्ठाए करंति पाणाण वहकरणं अलिय-णियडिसाइसंपओगे 卐 परदव्वाभिजा सपरदारअभिगमणासेवणाए आयासविसूरणं कलहभंडणवेराणि य卐 अवमाणणविमाणणाओ इच्छामहिच्छप्पिवाससययतिसिया तण्हगेहिलोहघत्था अत्ताणा म अणिग्गहिया करेंति कोहमाणमायालोहे। # अकित्तणिजे परिग्गहे चेव होंति णियमा सल्ला दंडा य गारवा य कसाया ॥ 卐 सण्णा य कामगुण-अण्हगा य इंदियलेस्साओ सयणसंपओगा सचित्ताचित्तमीसगाई दव्वाइं अणंतगाई इच्छंति परिघेत्तुं। सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोहपरिग्गहो जिणवरेहिं भणिओ णत्थि एरिसो पासो म पडिबंधो अत्थि सव्वजीवाणं सव्वलोए। (प्रश्र. 1/5/सू.96) परिग्रह के लिए लोग प्राणियों की हिंसा के कृत्य में प्रवृत्त होते हैं। झूठ बोलते हैं, HF दूसरों को ठगते हैं, निकृष्ट वस्तु को मिलावट करके उत्कृष्ट दिखलाते हैं और परकीय द्रव्य ' 卐 में लालच करते हैं। स्वदार-गमन में शारीरिक एवं मानसिक खेद को तथा परस्त्री की प्राप्ति न होने पर मानसिक पीड़ा को अनुभव करते हैं। कलह-वाचनिक विवाद-झगड़ा, लड़ाई तथा वैर-विरोध करते हैं, अपमान तथा यातनाएं सहन करते हैं। इच्छाओं और चक्रवर्ती आदि के समान महेच्छाओं रूपी पिपासा से निरन्तर प्यासे बने रहते हैं। तृष्णा-अप्राप्त द्रव्य 卐 卐 की प्राप्ति की लालसा तथा प्राप्त पदार्थों संबंधी गृद्धि-आसक्ति तथा लोभ में ग्रस्त-आसक्त रहते हैं। वे त्राणहीन एवं इन्द्रियों तथा मन के निग्रह से रहित होकर क्रोध, मान, माया और लोभ का सेवन करते हैं। म इस निन्दनीय परिग्रह में ही नियम से शल्य-मायाशल्य, मिथ्यात्वशल्य और निदान ॐ शल्य होते हैं, उसी में दण्ड-मनोदण्ड, वचनदण्ड और कायदण्ड-अपराध होते हैं, ऋद्धि रस तथा साता रूप तीन गौरव होते हैं, क्रोधादि कषाय होते हैं, आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा और परिग्रह नामक संज्ञाएं होती हैं, कामगुण-शब्दादि इन्द्रियों के विषय तथा । 卐 हिंसादि पांच आस्रवद्वार, इन्द्रियविकार तथा कृष्ण, नील एवं कापोत नामक तीन अशुभ 卐 ENrFFFFFFFFFFFFFFFFFF अहिंसा-विश्वकोश।1931 明明明明明 明明明明明明明
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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