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E FEEEEEEEEEEEEEEEEEEE • जीव-रक्षा का ध्यानः आदान निक्षेपण व उत्सर्ग समिति . . . . . . . . 399-40257 • हिंसादि-निवर्तिकाः मन-वचन-काय गुप्तियां . . . . . . . . . . . . . . . • वाग्गुप्ति व भाषा समिति में अन्तर........ • वाणीकृत हिंसा से बचने का प्रमुख उपायः मौन. . . . . . . . . . • जीव-हिंसापूर्ण रात्रिभोजन से विरति........ ........40 • जीव-मात्र के रक्षक: जैन श्रमण. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . • अहिंसा-साधना के सम्बलः विशिष्ट शास्त्रीय उपदेश. .........
..... 440-445
..............404-405
6. अहिंसा-याधना और ध्यान-योगः
446-470
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• हिंसात्मक अप्रशस्त ध्यानः योगी/ साधु के लिए हेय......... • अहिंसात्मक वीतरागताः योग-साधक का परम लक्ष्य. . . . . . . . . . • अहिंसा-यम आदि का अनुष्ठान: ध्यान-योग का अंग. . . . . . . . . . . • अहिंसक वातावरण का निर्माता : ध्यानयोगी श्रमण. . . . . . . . . • अहिंसात्मक मैत्री आदि भावनाएं: ध्यान-योग की अंग . . . . . . . . .
[मैत्री भावना; करुणा भावना; मुदिता भावना; उपेक्षा/ माध्यस्थ्य भावना;]
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XII