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SE EEEEEEEEEEEEEEEEEEET • हिंसा-दोषः कुछ शंकाएं और समाधान. . . . . . . .. • हिंसा के सम्बन्ध में खारपटिकों की अज्ञानपूर्ण मान्यता . . . . . . . . . . . . . 54 • हिंसा के सम्बन्ध में बौद्धों की अविवेकपूर्ण मान्यता ......54• हिंसा के सम्बन्ध में तापसों की अविवेकपूर्ण मान्यता . . . . . . . . • हिंसा के सम्बन्ध में अन्यतीर्थिकों का अज्ञान . . . . . . . . . . . . . • हिंसा-समर्थक संसारमोचकों के कुतर्क का निराकरण . . . . . . . .... • हिंसाः धर्म के नाम पर पूर्णतः अनुचित .
.....63• हिंसा: यज्ञ आदि में धर्म-सम्मत नहीं. . . . . . . . . . . • जहां हिंसाः वहां अधर्म (ज्ञानी की मान्यता). . . . . . . . . . . . . . . • अहिंसक यज्ञ की श्रेष्ठता और उसका आध्यात्मिक स्वरूप
[दयारूपी दक्षिणा द्वारा यज्ञ का अनुष्ठान;]. • हिंसाः अतिथि हेतु भी अधर्म ... • हिंसा: कोई कुलाचार नहीं . . . . . . . . . . . • जीव-हिंसाः देव-बलि के रूप में निन्दनीय . . . . . . . . . • जीव-हिंसा व मांस-भोजनः श्राद्ध में अमान्य ............. • हिंसा के सम्बन्ध में सापेक्ष सिद्धान्त (आगमिक दृष्टि) • हिंसा-सम्बन्धी दोषः आन्तरिक दुर्भावों के अनुरूप .......... • हिंसा-दोषः वध्य जीव की आयु के अनुरूप नहीं . . . . . . . . . . . .
......68-69
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2. हिंसा-निन्दा एवं अठिंआ-मठिमा:
81-176 • यज्ञ-हिंसा का समर्थन करने से दुर्गति (राजा वसु की पौराणिक-कथा) . . . . . . . • हिंसक यज्ञ की परम्परा का प्रवर्तकः महाकाल असुर (पौराणिक आख्यान) . . • हिंसा-समर्थक शास्त्रों के उपदेशक निन्दनीय. . . . . . . . . . . . . . . . . 82-83 卐 • हिंसा के दोष-सूचक विविध नाम. . . . . . . .
• . . . . . . . . . . . . • अहिंसा के प्रशस्त व शुभ नाम. . . . . . . . . .
. . . . . . . . . . . . . . . . . . 88-91
88-91 • हिंसा-निन्दा, हिंसा-त्याग एवं अहिंसा-अनुष्ठान के प्रतिपादक उपदेश....91-99 • हिंसक आचार-विचार के दुष्परिणाम.
. . . . . .100-111
1.ri.ri.rrrrrrrrrrrrr-GUDDUEUEUEUEUEUELCULDELEDEUDULL
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