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________________ %%%%%%%%%%%%%%%% %%%%%%% %% % {191) सर्वमेधमयं धर्ममभ्युपेत्य पशुघ्नताम्। का नाम गतिरेषां स्यात् पापशास्त्रोपजीविनाम्॥ (आ. पु. 39/134) जो समस्त हिंसामय धर्म स्वीकार कर पशुओं का घात करते हैं ऐसे पापशास्त्रों से आजीविका करने वालों की न जाने कौन-सी गति होगी? io हिंसा के दोष-सूचक विविध नाम (192) पाणवहो णाम एसो जिणेहिं भणिओ- १ पावो २ चंडो ३ रुद्दो ४ खुद्दो ५ साहसिओ ६ अणारिओ ७ णिग्घिणो ८ णिस्संसो ९ महब्भओ १० पइभओ ११ 卐 अइभओ १२ बीहणओ १३ तासणओ १४ अणज्जओ १५ उव्वेययणओ य १६ ॥ मणिर वयक्खो १७ णिद्धम्मो १८ णिप्पिवासो १९ णिक्क लुणो २० णिरयवासगमणनिधणो २१ मोहमहब्भयपयट्टओ २२ मरणवेमणस्सो॥ (प्रश्न. 1/1/सू.2) 卐 जिनेश्वर भगवान ने प्राणवध को (इन नामों से) इस प्रकार निर्दिष्ट किया है- जैसे : (1) पाप (2) चण्ड (3) रुद्र (4) क्षुद्र (5) साहसिक (6) अनार्य (7) निघृण (8) नृशंस (9) महाभय (10) प्रतिभय (11) अतिभय (12) भीषणक (13) त्रासनक 卐 (14) अन्याय (15) उद्वेगजनक (16) निरपेक्ष (17) निर्धर्म (18) निष्पिपास (19) निष्करुण (20) नरकवास गमन-निधन (21) मोहमहाभय-प्रवर्तक (22) मरणवैमनस्य। हिंसा-स्वरूप के सूचक तथा ग्रंथकार द्वारा निर्दिष्ट उपर्युक्त कई विशेषण प्रसिद्ध हिंसाप्रवृत्ति के प्रतिपादक हैं, किंतु कई नाम हिंसा की अप्रसिद्ध प्रवृत्ति को भी प्रकाशित 卐 करते हैं। इन नामों का अभिप्राय इस प्रकार है (1) पाव (पाप)- पापकर्म के बन्ध का कारण होने से यह पाप-रूप है। (2)चंड- जब जीव कषाय के भड़कने से उग्र हो जाता है, तब प्राणवध करता है, ॥ अतएव यह चंड है। (3) रुद्द (रुद्र)- हिंसा करते समय जीव रौद्र-परिणामी बन जाता है, अतएव ॥ 卐 हिंसा रुद्र है। बन अहिंसा-विश्वकोश/83] 听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明如 明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听
SR No.016129
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages602
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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