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卐इन पर्वो को मनाये अपूर्व रूप से चरम शासनपति प्रभु
जैन ध्वज वंदन महावीर स्वामी ने संसार का त्याग करके ।
तर्ज : वंदे मातरम् चारित्र जीवन का स्वीकार किया दीक्षा लेने
प्रत्येक पर्यों में शासन गीत का सूर हो के बाद लेटना नहीं, बोलना नहीं, बैठना ।
प्रत्येक व्यक्ति के मुहँ पर शासन का नूर हो नहीं, त्रिसूत्री साधना का शुभारंभ हुआ, साढ़े।
महावीर की संतान है, हम महावीर के अनुयायी है। बारह साल की सुदीर्घ भीष्म तपश्चर्या के पश्चात
सारे जग में वीर प्रभु का, शासन जय जयकार है । वैशाख सुदी दशमी को प्रभु ने केवलज्ञान पाया।
जैनम् जयति शासनम् ।। 1|| समवसरण की रचना हुई प्रथम देशना में किसी को
सब जीवों की रक्षा करना, महावीर का आदेश है। विरति का परिणाम जागृत नहीं हुआ अत: प्रथम
दया हमारा धर्म है, क्षमा हमारा कर्म है । देशना निष्फल मानी गई किंतु दुसरे ही दिन ।
सारे जग में वीर प्रभु का .... ।। 2।। इन्द्रभूति आदि कुल ग्यारह गणधर उनके शिष्यों
रोहणिया जैसा चोर लुटेरा, उसको प्रभु ने तारा था, सहित 4400 को संयम देकर एक साथ पूर्ति कर दी ...
अर्जुनमाली था घोर पापी, उसको भी उगारा था । वैशाख सुदी 11 के दिन शासन की स्थापना हुई... ।
क्रोधी विषधर चण्डकौशिक को, प्रभु ने ही सुधारा था । प्रभु ने मोक्षमार्ग का प्रवर्तन किया, इस दिन हम भी भव्य
आओ झण्डा जिनशासन का, फहराने की बारी है। रूपये सभी मिलकर शासन स्थापना दिन मनाये।।
सारे जग में वीर प्रभु का .... ।। 3|| मिटा देंगे हम हस्ती उनकी, जो हमसे टकरायेगा । अहिंसा की टक्कर में देखों, हिंसा नाम मिट जाएगा।
गली-गली और गाँव-गाँव में, बच्चा-बच्चा गाएगा। वैशाख सुदी 11
वीर प्रभु का शासन पाकर, मुक्ति सुख को पाएगा । शासन स्थापना दिन
सारे जग में वीर प्रभु का ००० ।। 4|| ना समझो तुम कायर हमको, हम शेरों के भी शेर है। न्यौछावर कर देंगे तन-मन, वीरों के भी वीर है। प्राण फना हो जावे चाहे, मरने को वडवीर है। जिनशासन का झण्डा ऊँचा, लहराओ तैयारी है ||
सारे जग में वीर प्रभु का ०००० ।। 5।। आज से करीबन 2600 वर्ष पूर्व प्रभुवीर का जन्म क्षत्रिय कुण्ड नगर में हुआ... मध्य रात्रि में
अज्ञान के अंधकार को मिटाने दिव्य प्रकाश पुंज का जन्म हुआ। प्रभू ने जन्म लिया तब देवी-देवता-इन्द्र-नरेन्द्र सभी आनंदीत हुए
और मेरू पर ले जाकर देवों ने जन्माभिषेक किया।
हम भी सभी जीवों को सुख देने वाले इस कल्याणक पर्व को ० प्रभुवीर की भव्य अंगरचना-झाकियों से युक्त विराट रथयात्रा, पंज अनुकंपा दान आदि से शासन प्रभावनायुक्त मनाकर वीरशासन की वृद्धि एवं प्रभावना करें।
का जन्म कल्याणक