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卐 जैन दर्शनानुसार卐 सही जानिये.... समजिये....
MADHAN
01 जैसे वानर को पूंछ और विकृत मुन्न है वैसे हनुमान के पूंछ और
विकृत मुस्ख नहीं था। 02 जैसे राम को एक मस्तक वैसे रावण को भी एक मस्तकथा। 03 जैसे बाल नारंगी की तरह गोल है वैसे पृथ्वी थाली की तरह
गोल है। 04 जैसे भव्य जीवों में मोक्ष में जाने की योग्यता है वैसे अभव्य जीवों में
मोक्ष में जाने की अयोग्यता है। 05 प्रभु वीर ने जिस तरह से चंडकौशिक को प्रतिबोधित किया था |
मुनिसुव्रतस्वामी ने उसी तरह से अश्व को प्रतिबोधित किया।
06 जैसे तीर्थंकर की माता 14 स्वप्न देखती है वैसे ही चक्रवर्ती
की माता 14 स्वप्न देखती है।
07 जैसे धर्म करनेवाले देवलोक में वैसे पाप करने वाले नरक में |
जाते है। 08 जैसे नरक सात है वैसे देवलोक बारह है। 09 शत्रुजयगिरि के कंकर-कंकर से अनंत आत्माएँ मोक्ष में गई है वैसे
इस अवसर्पिणी काल में 20 करोड़ मुनि के साथ 5 पाण्डव भी
मोक्ष में गये है। 10 जैसे शत्रुजयगिरि शाश्वत है वैसे मेरू गिरिभी शाश्वत है। 11 जैसे धन्नाशा ने राणकपुर तीर्थ में जिन मन्दिर का निमणि
करवाया वैसे भरत चक्रवर्ती ने अष्टापद पर जिन मन्दिर
का निर्माण करवाया है। 12 जम्बूदीप में सूर्य और चन्द्र 2-2 है।
मेरुपर्वत
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