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________________ प्राचीन चरित्रकोश शल वे अश्व वामदेव के न हो कर, स्वयं के है, ऐसा मिथ्या वचन यह कहने लगा । इस कारण क्रुद्ध हो कर वामदेव ने चार राक्षस निर्माण किये, एवं उन्हीं के द्वारा इसका यध करवाया। इसके पथ के पश्चात् इसका भाई दस अयोध्या का राजा बन गया (म.ब. १९०६ ९ ) 1 २. (सो. कुरु. ) एक राजा, जो कुरुवंशीय सोमदत्त राजा का पुत्र, एवं भूरिश्रवस् राजा का भाई था । इसे 'सांयमनि ' पैतृक नाम प्राप्त था । द्रौपदी के स्वयंवर में, एवं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यह उपस्थित था (म. आ. १७७.१४) । भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था, एवं भीष्म के द्वारा निर्माण किये गये गरुडव्यूह के वामभाग में खड़ा था। इसने निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध किया था:- १. अभिमन्यु ( म. हो. ३६.७ ); २. द्रौपदी के पुत्र (म. द्रो. ८१.१५) । अंत में श्रुतकर्मन् के द्वारा इसका वध हुआ ( म. द्रो. ८३.१० ) । २. धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो भीम के द्वारा मारा गया था (म. क्र. ६२.५) । शल्य ४. एक सैंहिकेय असुर, जो विप्रचित्ति एवं सिंहिका के पुत्रों में से एक । परशुराम ने इसका वध किया | शलभा- अत्रि ऋषि की पत्नी ( ब्रह्मांड. ३.८. ७४-८७ ) | इग्य हुआ था (म. आ. ५२.५ पाठ)। ५. एक असुर, जो विप्रचित्ति एवं सिंहिका के पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड. ३.६.१९ ) । परशुराम ने इसका वध किया । शल्य बाहीक एवं मद्र देश का सुविख्यात राजा, जो नकुल सहदेव की माता माद्री का भाई, एवं पाण्डवों का मामा था । इसके पिता का नाम ऋतायन था (म. भी. ५८.१४ ) । महाभारतकाल में मद्र एवं ग्राहक देश हीन जाति के लोग माने जाते थे, इसका प्रत्यंतर शल्य के चरित्र में अनेक बार प्राप्त है। यद्यपि शस्य अत्यंत पराक्रमी, 'बाह्रीकपुंगव, ' एवं पांडवों का रिश्तेदार था, फिर भी मद्रदेशीय होने के कारण इसे जीवन भर उपहासात्मक , ४. वासुकिकुलोत्पन्न एक नांग, जो जनमेजय के सर्पसत्र वचन एवं अपमान सहने पड़े, जिसकी चरम सीमा भारतीय युद्ध के समय हुए कर्ण शल्य संवाद में पायी जाती है। 'कर्ण-शल्य । मादी का विवाह इसकी बहन माझी अत्यंत स्वरूपसुंदर थी । इसी कारण हस्तिनापुर के राजा पांडु का विवाह उससे करने का प्रस्ताव भीष्म ने इसके सामने रखा । उस समय मद्र देश में प्रचलित रिवाज के अनुसार कन्यादान के शुल्क की मांग इसने भीष्म से की। भीष्म के इस शर्त को मान्यता देने पर इसने मात्री का विवाह ६. सपक्षीय एक पहलवान, जो कृष्ण के द्वारा मारा गया (भा. १.१५.१६ ) । ७. एक असुर, जो वृक एवं दुर्वाक्षी के पुत्रों में से पांडु से कराया । एक था (भा. ९.२४.४३ ) । ८. सुतोत्र राजा का पुत्र (वायु. ९२.३) । शलकर — तक्षककुलोत्पन्न एक सर्प ( म. आ. ५२८ ) । । पाण्डवों का अत्यंत निकट का रिश्तेदार होते हुए भी, भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था। संभवतः इसी कारण, महाभारत में इसे हिरण्यकशिपु के द्वितीय पुत्र 'संहाद' के आसुरी अंश से उत्पन्न एक दुष्ट पुरुष कहा गया है (म. आ. ६१.६ ) । द्रौपदीस्वयंवर में-- अपने रुक्मांगद एवं रुक्मरथ नामक दो पुत्रों के साथ यह द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था। उस समय यह मल्यमेव के लिए धनुष तक न चढ़ा सका था, जिस कारण स्वयंवर मंडप में इसे लज्जित होना शलंक--विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ( पाणिनि पड़ा ( म. आ. १७७.१३ ) । इसी मंडप में, इसका देखिये) । भीमसेन से युद्ध भी हुआ था, जिसमें यह उससे पराजित शलभ - एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों हुआ ( म. आ. १८१.२४ ) । में से एक था। नकुल के द्वारा किये इसने शाकनगरी में उसका अत्यंत उत्कृष्ट स्वागत किया, एवं उसे अनेकानेक भेंट वस्तुएँ प्रदान की । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी यह उपस्थित था, जहाँ शिशुपाल ने इसे श्रीकृष्ण से भी अधिक श्रेष्ठ ठहराने की कोशिश की थी किंतु अपने इस प्रयत्न ९५१ युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में २. एक राक्षससमूह जो यामिनी एवं साक्ष्य कश्यप गये पश्चिम दिधिज्य के समय की संतान मानी जाती हैं। ३. चेदि देश का एक राजा, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में शामिल था। कर्ण ने इसका वध किया ( म. क. ४०.५१ ) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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