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________________ वालिन् प्राचीन चरित्रकोश वालिन् जन्म--वाल्मीकि रामायण के दाक्षिणात्य पाठ में, | शाप दिया, 'मेरे आश्रम के निकट एक योजन की कक्षा वालिन् एवं सुग्रीव को ब्रह्मा के अश्रुबिंदुओं से उत्पन्न हुए में तुम आओंगे, तो तुम मृत्यु की शिकार बनोंगे' (वा. ऋक्षरजस् वानर के पुत्र कहा गया है। एक बार ब्रह्मा के | रा. कि. ११)। यही कारण है कि, ऋष्यमूक पर्वत तपस्या में मम हुआ ऋक्षरजस् पानी में कूद पड़ा। पानी | वालि के लिए अगम्य था। के बाहर निकलते ही उसे एक लावण्यवती नारी का रूप सुग्रीव से शत्रुत्व--दुंदुभि के वध के पश्चात् , उसका पुत्र प्राप्त हुआ, जिसे देख कर इंद्र एवं सूर्य कामासक्त मायाविन् ने वालि से युद्ध शुरु किया, जिसके ही कारण हुए। उनका वीर्य क्रमशः स्त्रीरूपधारिणी ऋक्षरजा के आगे चल कर, यह एवं इसका भाई सुग्रीव में प्राणांतिक बाल एवं ग्रीवा पर पड़ गया। इस प्रकार इंद्र एवं सूर्य के | शत्रुता उत्पन्न हुई। एक बार वालि एवं सुग्रीव मायाविन् अंश से क्रमशः वालिन् एवं सुग्रीव का जन्म हुआ (वा. का वध करने निकल पड़े। इन्हें आते देख कर मायारा. कि. १६.२७-३९)। विन् ने एक बिल में प्रवेश किया। तदुपरांत इसने सुग्रीव जन्म होने के पश्चात , इंद्र ने अपने पुत्र वालिन् को को बिल के द्वार पर खड़ा किया, एवं यह स्वयं मायाविन् एक अक्षय्य सुवर्णमाला दे दी, एवं सूर्य ने अपने पुत्र का पीछा करता बिल के अंदर चला गया। सुग्रीव को हनुमत् नामक वानर सेवा में दे दिया । पश्चात् इसी अवस्था में एक वर्ष बीत जाने पर, एक दिन ऋक्षरजस् को ब्रह्मा की कृपा से पुनः पुरुषदेह प्राप्त सुग्रीव ने बिल में से फेन के साथ रक्त निकलते देखा, हुआ, एवं वह किष्किंधा का राजा बन गया (वा. रा. एवं उसी समय असुर का गर्जन भी सुना । इन दुश्चिन्हों बा. दाक्षिणात्य. १७.१०; ऋक्षरजस् देखिये)। से सुग्रीव ने समझ लिया कि, वालि मारा गया है। पराक्रम--वालिन् के पराक्रम की अनेकानेक कथाएँ अतः उसने पत्थर से बिल का द्वार बंद किया, एवं वह वाल्मीकि रामायण एवं पुराणों में प्राप्त हैं। एक बार अपने भाई की उदकक्रिया कर के किष्किंधा नगरी लौटा। लंकाधिपति रावण अपना बलपौरुष का प्रदर्शन करने वालिवध की वार्ता सुन कर, मंत्रियों ने सुग्रीव की इच्छा इससे युद्ध करने आया, किंतु इसने उसे पुष्करक्षेत्र के विरुद्ध उसका राज्याभिषेक किया । अपनी पत्नी रुमा में परास्त किया था ( वा. रा. उ. ३४: रावण देखिये)।। एवं वालि की पत्नी तारा को साथ ले कर. सुग्रीव. राज्य गोलभ नामक गंधर्व के साथ भी इसने लगातार पंद्रह वर्षों करने लगा। , तक युद्ध किया, एवं अंत में उसका वध किया था | तदुपरांत मायाविन् का वध कर वालि किष्किंधा (वा. रा. कि. २२.२९)। इसके बाणों में इतना सामर्थ्य लौटा । वहाँ सुग्रीव को राजसिंहासन पर देख कर यह था कि, एक ही बाण से यह सात साल वृक्षों को पर्णरहीत अत्यधिक क्रुद्ध हुआ, एवं इसने. उसकी अत्यंत कटु करता था (वा. रा. कि. ११.६७)। पंचमेदू नामक आलोचना की । सुग्रीव ने इसे समझाने का काफी प्रयत्न राक्षस से भी इसने युद्ध किया था, जिस समय उस राक्षस | किया, किंतु यह यही समझ बैठा कि, सुग्रीव ने यह ने इसे निगल लिया था। तदुपरांत शिवपार्षद वीरभद्र ने सारा षड्यंत्र राज्यलिप्सा के कारण ही किया है। उस राक्षस को खड़ा चीर कर, इसकी मुक्तता की थी। अतएव इसने उसे भगा दिया, एवं उसकी रुमा नामक (पद्म. पा. १०७)। पत्नी का भी हरण किया । सुग्रीव सारी पृथ्वी पर भटक दुंदुभिवध--दुंदुभि नामक महाबलाढ्य राक्षस का कर, अंत में वालि के लिए अगम्य ऋष्यमूक पर्वत पर भी वालि ने वध किया था । उस राक्षस के द्वारा समुद्र एवं रहने लगा (वा. रा. कि. ९-१०)। हिमालय को युद्ध के लिए ललकारने पर, उन्होंने उसे राम-सुग्रीव की मित्रता---ऋष्यमूक पर्वत पर राम एवं वालि से युद्ध करने के लिए कहा। अतः दुंदुभि ने सुग्रीव की मित्रता प्रस्थापित होने पर, राम ने अपना महिष का रूप धारण कर इसे युद्ध के लिए ललकारा। बलपौरुष दिखाने के लिए अपने एक ही बाण से वहाँ इसने अपने पिता इंद्र के द्वारा प्राप्त सुवर्णमाला पहन स्थित सात ताड़ तरुओं का भेदन किया । आनंद रामायण कर दुंदुभि को द्वंद्वयुद्ध में मार डाला, एवं उसकी लाश । में, इन सात ताड़ वृक्षों के संदर्भ में एक कथा प्राप्त है । एक योजन दूरी पर फेंक दी। उस समय दुंदुभि के कुछ | एक बार ताड़ के सात फल वालि ने ऋष्यमूक पर्वत की रक्तकण ऋष्यमूक पर्वत पर स्थित मातंग ऋषि के आश्रम गुफा में रखे थे । पश्चात् एक सर्प उस गुफा में आया, में गिर पड़े। इससे ऋद्ध हो कर मातंग ऋषि ने वालि को | एवं सहजवश उन ताड़फलों पर बैठ गया । वालि ने ८३०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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