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मनु
प्राचीन चरित्रकोश
मनु
२. सप्तर्षि--अतिनामन् , उत्तम (उन्नत, भृगु), नभ अवतार होगा, तथा बलि के बाद वह सब व्यवस्था (नाभ, मधु ), विरजस् (वीरक), विवस्वत् (हविष्मत् ), देखेगा। सहिष्णु, सुधामन् , सुमेधस् ।
६. पुन-अधृष्ट ( अधृष्णु), अध्वरीवत् (अवरीयस् , ३. देवगण---आद्य (आय), ऋभ, ऋभु, पृथग्भाव अर्ववीर, उर्वरीयस् , (वीरवत्), अपि, अरिष्ट (चरिष्णु, (प्रथुक-ग, यूथग), प्रसूत, भव्य (भाव्य), वारि विष्णु), आज्य, ईडथ, कृति, (धृति, धृतिमत् ), निर्मोह, (वारिमूल), लेख।
यवसर , वसु, वरीयस् , वाच ( वाजवा जिन् , विरज, ४. इन्द्र--भवानुभव या मनोजव अथवा मंत्रद्रुम।। विरजस्क), वैरिशमन, शुक्र, सत्यवाच, सुमति । ५. अवतार-विष्णु मतानुसार विकुंटापुत्र वैकुंठ,
दक्षसावर्णि मन्वन्तर तथा भागवत मतानुसार वैराज तथा संभूति का पुत्र अजित् ।। १. मनु-दक्षसावर्णि ।
६. पुत्र--अभिष्टत, अतिरात्र, अभिमन्यु, ऊरु (रुरु) २. सप्तर्षि--ज्योतिष्मत् , द्युतिमत् , मेधातिथि कृति, तपस्विन् , पुरु (पुरुष, पूरु), शतद्युम्न, सत्यवाच, (मेधामृति, माधातिथि), वसु, सत्य (सुतपस्, पौलह), सुद्युम्न ।
सबल (सवन, वसित, वसिन ), हव्यवाहन (हव्य, . वैवस्वत मन्वन्तर
भव्य)।
३. देव-दक्षपुत्र हरित के पुत्र निमोह, पार (पर, 1. मनु--वैवस्वत । २. सप्तर्षि-अत्रि, कश्यप (काश्यप, वत्सर), गौतम |
संभूत ), मरिचिगर्भ, सुधर्म, सुधर्मन् , सुशर्माण । इनमें से (शरद्वत् ), जमदग्नि, भरद्वाज (भारद्वाज), वसिष्ठ
हर एक के साथ बारह व्यक्ति हैं।
। ४. इन्द्र-कार्तिकेय ही आगे चलकर अद्भुत नाम ( वसुमत् ), विश्वामित्र ।
से इन्द्र होगा। ३. देवगण--आंगिरस (दस), अश्विनी (दो), | आदित्य (बारह ), भृगुदेव (दस), मरुत् ( उन्चास),
५. अवतार-आयुष्मत् एवं अंबुधारा का पुत्र ऋषभ
अवतार होगा। रुद्र ( ग्यारह ), वसुं (आठ), विश्वेदेव (दस), साध्य (बारह)।
६. पुत्र-अनीक (ऋचीक, अर्चिष्मत् , नाक ), ४. इन्द्र--ऊर्जखिन् या पुरंदर या महाबल। खड्गहस्त (पंचहस्त, पंचहोत्र, शापहस्त ), गय, ५. अवतार–वामन।
दीप्तिकेतु ( दासकेतु, बर्हकेतु), धृष्टकेतु (धृतिकेतु, ६. पुत्र--अरिष्ट (दिष्ट, नाभागारिष्ट, नाभानेदिष्ट, :
भूतकेतु ), निराकृति (निरामय), पृथुश्रवस् (पृथश्रवस् ), रिष्ट, नेदिष्ट, उद्विष्ट), इक्ष्वाकु, इल (सुद्युम्न ), करुष,
बृहत् (बृहद्रथ, बृहद्यश,), भूरिद्युम्न ।
ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर कुशनाभ, धृष्ट (धृष्णु), नभ (नभग, नाभ, नाभाग), नृग, पृषध्र, प्रांशु, वसुमत् , शयति ।
१. मनु--ब्रह्मसावर्णि। सावणि मन्वंतर
२. सप्तर्षि--आपांमूर्ति (आपोमूर्ति), अप्रतिम
(अप्रतिमाजस, प्रतिम, प्रामति), अभिमन्यु (नभस, . १. मनु-सावर्णि।
| सप्तकेतु ), अष्टम ( वसिष्ठ, वशिष्ठ, सत्य, सद्य), नभोग २. सप्तर्षि-अश्वत्थामन् (द्रौणि ), और्व ( काश्यप, |
(नाभाग), सुकृति (सुकीर्ति), हविष्मति । रुरु, श्रृंग), कृप (शरद्वत् , शारद्वत्), गालव (कौशिक),
देव--अर्चि (सुखामन, सुखासीन, सुधाम, सुधामान, दीप्तिमत् , राम (परशुराम जामदग्न्य), व्यास (शतानंद, |
सुवासन, धूम, निरुद्ध, विरुद्ध)। पाराशर्य)।
४. इन्द्र-शान्ति नामक इन्द्र होगा। ३. देवगण--अमिताभ (अमृतप्रभ), मुख्य (सुख, ५. अवतार–विश्वसृष्टय के गृह में विधूचि के गर्भ से विरज), सुतप (सुतपस् , तप)।
विष्वक्सेन नामक अवतार होगा। ४. इन्द्र--बलि (वैरोचन)। बलि वैरोचन की ६. पुत्र--अनमित्र (निरामित्र), उत्तमौजस, जयद्रथ, आसक्ति इन्द्रपद पर नहीं रहती है । अतएव कालान्तर में | निकुषंज, भूरिद्युम्न, भूरिषेण, भूरिसेन, वीरवत् (वीर्यवत् ), इन्द्रपद छोड़कर वह सिद्धगति को प्राप्त करेगा। | वृषभ, बृपसेन, शतानीक, सुक्षेत्र, सुपर्वन् , सुवर्चस् ,
५. अवतार--देवगुह्य तथा सरस्वती का पुत्र सार्वभौम । हरिषेण । प्रा. च, ७७]
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