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________________ मणि प्राचीन चरित्रकोश मणि वर मणि-एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र का पुत्र था। २. कुबेर का एक सेनापति । रावण के सेनापति ग्रहस्त गिरिव्रज नगरी के निकट इसका निवासस्थान था (म. आ. ने कैलास पर्वत पर इसे परास्त किया था (वा. रा. यु. ३१.६) । इसने शिव की तपस्या कर गरुड से अभयदान | १९.११) का वर प्राप्त किया था (ब्रह्म. ९०)। ३. शिवगणों में से एक (पद्म. उ. १७)। . २. ब्रह्मा की सभा का एक ऋषि (म. स. ११.१२५%3; | मणिभूष-कुबेर का एक सेनापति । पंक्ति.६)। मणिमत्-एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के ३. स्कंद का एक पार्षद, जो उसे चंद्रमा के द्वारा दिये | पुत्रों में से एक। गये दो पार्षदों में से एक था। दूसरे पार्षद का नाम सुमालिन् | २. वरुणसभा का एक नाग (म. स. ९.९)। था (म. श. ४५.२९)। ३. एक यक्ष, जो कुबेर का सेनापति एवं सखा था। माणिकंधर-कुवेर का एक सेनापति । एकबार यह विमान में बैठकर आकाशमार्ग से जा रहा मणिकार्मुकधर-कुबेर का एक सेनापति । था। उस समय यमुना नदी के तटपर तपस्या करनेवाले मणिकुंडल-एक राजा, जिसकी कथा ब्रह्म में गोदावरी अगस्त्य ऋषि का इसने अपमान किया, जिस कारण उसने नदी के तट पर स्थित 'चक्षुस्तीर्थ' (मृतसंजीवन तीर्थ) इसे शाप दिया, ' शीघ्र ही मनुष्य के द्वारा तुम्हारा का माहात्म्य वर्णन करने के लिए कथन की गयी है। वध होगा। ____एक बार. यह एवं इसका मिंत्र वृद्धगौतम व्यापार के पाण्डवों के वनवासकाल में वे घूमते-घूमते हिमवान् लिए विदेश चले गये। वहाँ इन्होने आपसमें होंड़ | पर्वत पर स्थित कुबेरवन में आये। उस समय कुबेरवन लगायी, जिस कारण वृद्धगौतम ने इसका सब कुछ जीत के कुछ कमल लाने के लिए भीम ने उस वन में प्रवेश लिया, एवं इसे अंधा एवं लूला बना कर छोड़ दिया।| किया, कि मणिमत् के साथ उसका युद्ध हुआ। उसी युद्ध पश्चात् चक्षस्तीर्थ में स्नान करने के कारण, इसकी सारी | में भीम ने इसका वध किया (म. व. १५७.४९-५७)। शारीरिक व्याधियाँ नष्ट हो गयी, एवं इसका राज्य इसे । ४. एक राजा, जो दनायुपुत्र वृत्रासुर नामक असुर - पुनः प्राप्त हुआ (ब्रह्म. १७०)। के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.४२)। यह मणिकुंडला--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. द्रौपदी के स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. १७७.७)। श. ४५.२०)। इसके नाम के लिए 'मणिकट्टिका' भीमसेन ने अपने पूर्वदिग्विजय में इसे जीता था (म. पाठभेद प्राप्त है। स. २७.१०)। भारतीय युद्ध में भूरिश्रवस् ( सौमदत्ति यूपकेतु ) राजा मणिग्रीव--एक यक्ष, जो कुबेर का पुत्र था। इसके ने इसका वध किया (म. द्रो. २४.५१)। छोटे भाई का नाम नलकुबर था (नलकुबर देखिये)। | । मणिमंत्र-एक यक्ष, मणिवर एव देवजनी के मणिधर--एक यक्ष, जो लोहित पर्वत पर रहता था। | 'गुह्यक' पुत्रों में से एक। मणिभद्र--कुबेर सभा का एक यक्ष (म. स. १०.१४)। मणिवक्र--एक वसु, जो आप नामक वसु के पुत्रों यह यात्रियों एवं व्यापारियों का उपास्य देव माना जाता | म है। मरुत्त का धन लाने के लिए जाते समय, युधिष्ठिर ने मणिवर--एक यक्ष, जो रजतनाथ एवं मणिवरा के इसकी पूजा की थी (म. आ. ६४.६)। | दो पुत्रों में से एक था। ऋतुस्थलाकन्या देवजनी इसकी इसके पिता का नाम रजतनाभ एवं माता का नाम | पत्नी थी, जिससे उत्पन्न इसके पुत्र ‘गुह्यक' सामुहिक मणिवरा था । क्रतुस्थ की कन्या पुण्यजनी इसकी पत्नी | नाम से सुविख्यात थे। थी, जिससे इसे निम्नलिखित पुत्र उत्पन्न हुए थे:-असोम, 'गुह्यक' पुत्र--मणिवर को देवजनी से उत्पन्न ऋतुमत् , रुद्रप्रथ, दर्शनीय, दुरसोम, द्युतिमत् , नंदन, | गुह्यक पुत्रों के नाम निम्नलिखित थे:-अहित, कुमुदाक्ष, पन, पिंगाक्ष, भीरु, मणिमत्, मंडक, महाद्युति, मेघवर्ण, कुसु, कृत, चर, जयावह, पक्ष, पद्मनाथ, पद्मवर्ण, पिंशंग, रुचक, वसु, शंख, सर्वानुभूत, सिद्धार्थ, सुदर्शन, सुभद्र, पुष्पदन्त, पूर्णभद्र, पूर्णमास, बलक, मणिमंत्र, महामुद, सुमक एवं सूर्यतेजस् (ब्रह्मांड. ३,७.१२२-१२५)। मानस, वर्धमान, विजय, विमल, विवर्धन, श्वेत, सवीर, ५९७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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