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अरालि
प्राचीन चरित्रकोश
अरिह
अरालि--विश्वामित्र पुत्र ।।
२. विनता के पुत्रों में से एक (म. आ. ५९.९३)। अरि--अंगिरस कुल का एक गोत्रकार ।
३. पौष माह के सूर्य के साथ घूमनेवाला गंधर्व । अरिक्तवर्ण-(आंध्र. भविष्य.) मस्य के मतानुसार |
। ४. (सू. निमि.) पुरुजित् जनक का पुत्र । स्वातिवर्ण का पुत्र ।
५. अज्ञातवासकाल में, तंतिपाल के साथ यह नाम अरिजित--(सो. यदु.) भद्रा से उत्पन्न कृष्ण का भी सहदेव ने धारण किया था (म. वि. १०)। पुत्र।
६. बलि की सेना का एक दैत्य (भा. ८.६)। __ अरिंजय--(मगध. भविष्य.) वायु के मतानुसार
७. यमसभा का एक क्षत्रिय (म. स. ८.२०)। वरिजित का पुत्र तथा ब्रह्माण्ड के मतानुसार विश्वजित का
८. एक ब्राह्मण । इसका सगर के साथ मोक्षसाधन के पुत्र।
| विषय में संवाद हुआ था (म. शां. ७७.२).। अरितायु--(सो. कुरु.) मत्स्य के मतानुसार यह भीमपुत्र है।
९. एक राजा । यह राज्य का त्याग कर के, गंधमादन अरिद्योत्--(सो. अंधक.) दुंदुभि का पुत्र ।
पर्वत पर तपश्चर्या कर रहा था। यह देख कर, इन्द्र ने अपना अरिंदम--विश्वंतर के सोमयज्ञ में, श्यापर्ण का प्रवेश दूत इसके पास भेजा तथा इसे हवाई जहाज़ में स्वर्ग ले होने पर, उनके द्वारा बताई गई सोम परंपरा में, सनश्रत ने आने के लिये कहा। परंतु स्वर्ग में भी उच्चनीच भेद है अरिंदम को यह परंपरा बताई, ऐसा उल्लेख है (ऐ. ब्रा. तथा पुण्यक्षय होने पर अधःपतन होता है, ऐसा दत से ७.३४)।
सुन कर, क्रोध से इसने उसे वापस भेज, 'दिया । परंतु अरिमर्दन-(सो. वृष्णि ) श्वफल्क का पुत्र ।
इन्द्र ने दूत को पुनः इसकी ओर भेजा, तथा इसको अरिमेजय--सर्पसत्र में इसने आध्वर्यव किया था आत्मज्ञान का बोध होने के लिये, वाल्मीकि के आश्रम (पं. ब्रा. २५.१५)।
में ले जाने के लिये कहा । वाल्मीकि से मुलाकात २. ( सो. वृष्णि.) श्वफल्क का पुत्र (विष्णु. ४.१४.
होते ही, जीवमुक्त होने के लिये, उसने इसे समग्र २)। सारमेय तथा शरिमेजय पाठ प्राप्त है। इसकी
रामायण कथन किया तथा उसके श्रवण, मनन, निदिध्यास पांडवों की ओर जाने की संभावना है, ऐसा धृतराष्ट्र कहता
से तुम जीवन्मुक्त हो जाओगे, ऐसा आश्वासन दिया हैं (म. द्रो. १०.२८)।
(यो. वा.१.१)। अरिष्ट--कश्यप तथा दनु का पुत्र।
अरिष्टनेमि तार्क्ष्य-सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.१७८) । २. कंस ने कृष्णपर भेजा हुआ दैत्य । इसने बैल का हैहय पुत्र कुमार ने इसके पुत्र की मृगया में हत्या की रूप ले कर कृष्ण पर हमला किया । इसने कुल दो | थी। फिर भी यह सदाचार से जीवित रहा (म. आर. आक्रमण किये। दूसरे आक्रमण के समय, कृष्णने इसकी | १८२)। गर्दन मरोडी तथा एक सींग उखाड कर, उसी सींग से उसे अरिष्टसेन-भारतीय युद्ध का दुर्योधनपक्षीय राजा पीटा । तत्काल रक्त की उल्टी कर के, यह मर गया (भा. | (महा. हा १०.३६.१६; ह. वं. २.२१)। ३. विनतापुत्र । इसे अरिष्टनेमि तथा ताय नामांतर
___अरिष्टा-प्राचेतस दक्षप्रजापति तथा असिक्नी की हैं (म. व. १८४; कुं. १८२.८; बंबई प्रत तुलना
कन्या। कश्यप की पत्नी। इसे गंधर्व तथा अप्सराएं हुई। करके देखिये)।
कश्यप की पत्नीयों के उल्लेख के समय, अरिष्टा बता कर ४. बलि के पुत्रों में से एक ।
प्राधा नहीं बताई गई है, परंतु संतति के उल्लेख के समय, ५. यमसभा का क्षत्रिय (म. स. ८.१४)।
अरिष्टा के बदले प्राधा नाम प्रयुक्त किया है । अतएव ६. वैवस्वत मनु का पुत्र ।
अरिष्टा तथा प्राधा एक ही है। ७. सावर्णि मनु का पुत्र ।
___ अरिह-(सो. पूरु.) अराचीन तथा विदर्भकन्या अरिष्टनेमि--कश्यप का नामान्तर (म. शां. २०८. मर्यादा का पुत्र । इसकी स्त्री का नाम आङ्गी (म. आ. ८)। प्रजापतियों में से यह एक था (वायु. ६६.५३- | ९०.८९९%)। ५४)।
| २. अमिताभ देवों में से एक ।