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________________ प्राचीन चरित्रकोश वृददश्य ३. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । ४. निषध देश का राजा, जो भारतीययुद्ध में कौरव पक्ष ४. सो. पूर. ) पूरुवंशीय हस्तिन् राजा का नामा में शामिल था। द्रुपदपुत्र पृष्ठयुम्न द्वारा इसका वध तर (ब्रह्म. १३.८० ) । ( हुआ (म. द्रो. ३१.६३ ) ५. (सू. इ. भविष्य.) इक्ष्वाकुवंशीय बृहद्राज राजा का नामान्तर ( बृहद्राज देखिये ) | ६. दक्षसावर्णि मनु का एक पुत्र । वृहती देवसावर्णि मन्यन्तर के विष्णु की माता, जो देवहोत्र की पत्नी थी (मा. ८. १२.३२.) । बृहत्कर्मन् -- एक अनुवंशीय राजा, जो भागवत के अनुसार पृथुलाक्ष राजा का, एवं विष्णु, मत्स्य एवं वायु के अनुसार भद्ररथ राजा का पुत्र था। २. (सो. पूरु. ) एक पूरुवंशीय राजा, जो विष्णु के अनुसार बृहद्वसु का, एवं वायु के अनुसार महाबल का पुत्र था । इसे बृहत्काय नामान्तर भी प्राप्त है । बृहत् बृहत् केतु - महाभारत में निर्दिष्ट एक प्राचीन मरेश ( म. आ. १.७७ ) । वृहत्क्षण इक्ष्वाकु वंशीय बृहत्क्षय राजा का नामांतर | बृहत्क्षत्र---(सो. पू.) एक पूरुवंशीय राजा, जो भागवत के अनुसार मन्यु का, एवं विष्णु तथा वायु के अनुसार भुवन्मन्यु का पुत्र था । इसे बृहत्क्षेत्र नामांतर भी प्राप्त है। बृहत्क्षय - - (सू. इ. भविष्य. ) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो वायु के अनुसार बृहद्बल राजा का पुत्र था। संभवतः यह भारतीययुद्धकालीन रहा होंगा। ३. (मगध. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्मांड एवं विष्णु के अनुसार सुक्षत्र का, वायु के अनुसार सुकृत का, एवं मत्स्य के अनुसार सुरक्ष का पुत्र था। भागवत में इसे बृहत्सेन कहा गया है। मत्स्य, वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार इसने २३ वर्षों तक राज्य किया। बृहत्सेन -- एक राजा, जो क्रोधवश नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था। इसकी कन्या का नाम लक्ष्मणा था, जो कृष्ण की पत्नी थी । भारतीय युद्ध में यह दुर्योधन के पक्ष में शामिल था। २. मगधवंशीय बृहतकर्मन् राजा का नामांतर (बृह कर्मन् २. देखिये) । बृहत्काय-- (सो. पूरु.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार, बृहद्भानु का पुत्र । ३. श्रीकृष्ण को भद्रा नामक पत्नी से उत्पन्न पुत्र | ४. एक आचार्य, जिसे नारद ने ब्राविया की परंपरा बृहत्कीर्ति एक ऋषि जो अंगिरा ऋषि को सुमा कथन की थी। आगे चल कर यही परंपरा इसने इंद्र को नामक पत्नी से उत्पन्न हुआ था । निवेदित की थी (गरुड. २.१ ) । . बृहत्क्षेत्र - पूवंशीय बृहत्क्षत्र राजा का नामांतर बृहत्क्षत्र १. देखिये) । २. केकय देश का नरेश, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में शामिल था (म. आ. १०७.१९) । महाभारत में इसके रथ के अश्वों का वर्णन प्राप्त है ( म. द्रो. २२. १७) । भारतीययुद्ध में कृपाचार्य एवं क्षेमधूर्ति से इसका द्वंद्व युद्ध हुआ था, जिसमें इसने उन दोनों को परास्त किया था ( म. द्रो. ४५.५२ ) । अंत में द्रोणाचार्य के द्वारा यह मारा गया ( म. द्रो. १०१.२१ ) । बृहत्सामन आंगिरस -- एक अंगिरसकुलोत्पन्न आचार्य, बिसे क्षत्रियों ने अत्यधिक प्रस्त किया था। उन कष्टों के फलस्वरूप, अंत में स्वयं क्षत्रिय लोग भी विनष्ट हो गये ( अ. वे. ५.१९.२ ) । बृहदनु -- (सो. पूरु. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार २. भगीरथवंशीय एक राजा, जो द्रौपदी के स्वयंवर अजमीढ राजा के प्रपौत्र का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम बृहदिषु था (बृहदिषु १. देखिये) । में उपस्थित था (म. आ. १७७.१९) । बहत्सेना - नलपत्नी दमयंती की धाय एवं परिचारिका, जो परिचर्या के काम में निपुण, एवं मधुरभाषिणी थी। राजा नल को हुये में हरते जान कर, दमयन्ती ने इसे अपने मंत्रियों को बुलाने के लिए भेजा था (म. . ५.०० ४) । तदनुसार इसने विश्वसनीय पुरुषों के द्वारा वार्ष्णेय नामक मुत को खाया था। वृहदंबालिका - स्कंद की अनुचरी मातृका ( म.श. ४५.४ ) । बृहदश्व - - (सू. इ. ) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो आवस्त का पुत्र था। इसकी राजधानी श्रावस्ती नगरी में थी, एवं इसके पुत्र का नाम कुवलाश्व था। यह एक आदर्श एवं प्रजाहितदक्ष राजा था। वृद्धापकाल में, इसने अपने पुत्र कुवलाश्व को राजगद्दी पर बिठा ५१४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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