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________________ निहाद प्राचीन चरित्रकोश नील । निहाद-जालंधर की सेना का एक राक्षस । कुबेर लिये, राम लंकानगरी जा रहे थे। उस समय किष्किंधा ने इसका वध किया (पन. उ.६)। । नगरी में, यह राम के दर्शन के लिये आया था नीच्य--सिंधु एवं पंजाब प्रदेश में रहनेवाले लोगों (पद्म. मृ. ३८)। . का सामुहिक नाम (ऐ. बा. ८-१४)। रामरावण युद्ध में, इसने निकुंभ, प्रहस्त, एवं महोदर नीतिन-भगुकुल का एक गोत्रकार । राक्षसों से घनघोर युद्ध किया; एवं निकुंभ तथा महोदर नीथ--एक वृष्णिवंशी राजकुमार (म. व. १२०. | का वध किया (वा. रा. यु. ४३; ५८; ७०)। बाद में १८)। राम के अश्वमेधय के समय, यह शत्रुघ्न के साथ अश्वरनीप--(सो. पुरु. ) पुरुवंश का सुविख्यात राजा । क्षणार्थ देशविदेश गया था (पन. पा. ११)। भागवत, वायु एवं विष्णु के अनुसार यह पार (प्रथम) । ४. (सो. सह.) अनूप देश का एक राजा एवं पांडवराजा का पुत्र था । मस्त्य के अनुसार, यह पौर का पुत्र पक्ष का महान योद्धा । यह उदार, रथी, संपूर्ण अस्त्रों का था। इसके पत्नी का नाम कृती अथवा कीर्तिमती था। ज्ञाता, एवं महामनस्वी था (म. आ. १७७.१०)। . उससे इसे ब्रह्मदत्त नामक पुत्र हुआ ( भा. ९.२१.२४ )। ___ भारतीय युद्ध में, इसका अश्वत्थामन् के साथ दो बार इसके कीर्तिवर्धन आदि सौ पुत्र थे । वे सारे 'नीप' युद्ध हुआ था। पहली बार अश्वत्थामन् ने इसके सीने में नाम से ही प्रसिद्ध थे। आगे चल कर, उन्हीसे सुविख्यात प्रहार कर, इसे घायल किया (म. भी. ९०.३३); एवं 'नीप वंश' का निर्माण हुआ। दूसरी बार इसका वध किया (म. द्रो. ३०.२५) ।धृतराष्ट्र२. नीप राजा से प्रारंभ हुआ क्षत्रियवंश। इसी वंश पुत्र दुर्जय से भी इसका युद्धा हुआ था (म. द्रो. २५. में, जनमेजय दुबुद्धि नामक कुलांगार राजा निर्माण हुआ ४३)। (म. उ. ७२.१३ )। उस राजा के दुर्वर्तन के कारण, उग्रायुध ने उसका वध किया; एवं नीपवंश नष्ट हो कर, ५. (सो. पुरु.) पुरुवंश का सुविख्यात राजा। यह • द्विमीढ वंश में शामिल हो गया ( मस्त्य. ४९; ह. वं अजमीढ एवं नलिनी का पुत्र था। इसका पुत्र शांति । .१.२०, वायु. ९९. १७८)। नील ने उत्तर पांचाल देश में स्वतंत्र राज्य स्थापित ३. (सो. द्विमीढ.) द्विमीढवंश का एक राजा।। किया। इसकी राजधानी अहिच्छत्र नगरी थी। इसने .. भागवत के अनुसार यह कृती राजा का पुत्र था। अन्य | उत्तर पांचाल के सुविख्यात 'नीलराजवंश' की नींव पुराणों में इसका उल्लेख प्राप्त नहीं है । यह धनुर्धर एवं | डाली। तीक्ष्णशस्त्रधारी था। इसका पुत्र भल्लाट था (भा. ९. ६. उत्तर पांचाल देश का सुविख्यात राजवंश। इस २१.२-८)। | वंश के नील से पृषत् तक के सोलह राजाओं का निर्देश नीपातिथि ' काण्व'- एक वैदिक ऋषि एवं | पुराणों में अनेक स्थानों पर प्राप्त है (वायु. ९९.१९४सूक्तद्रष्टा (ऋ. ८. ३४. १, १५)। किसी एक युद्ध में, २११; मत्स्य. ५०.१-१६)। उन राजाओं के नाम इस इंद्र ने इसका रक्षण किया था (ऋ.८.४९. ९)। यह प्रकार है:--१. नील, २. सुशांति, ३. पुरुजानु ४. रिक्ष, एक ख्यातिप्राप्त होता था, एवं स्वयं इंद्र ने इसके ५. भाश्व, ६. मुद्गल, ७. वध्यव, ८. दिवोदास, घर आ कर सोम प्राशन किया था (ऋ. ८. ५१.१)।। ९. मित्रयु, १०. मैत्रेय, ११. च्यवन, १२. पंचजन, एक 'सामन् ' का भी यह रचयिता था (पं. बा. १४. १३. सुदास, १४. सहदेव, १५. सोमक, १६. पृषत् १०.४)। यह राजवंश बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्यों नील- कश्यप एवं कद्रू से उत्पन्न एक नाग कि, इनमें से अनेक राजाओं का निर्देश वैदिक ग्रंथों में (म. आ. ३१.७) मिलता है। इस वंश के मुद्गल, वन्यश्व, दिवोदास, सुदास, २. विश्वकर्मा के अंश से उत्पन्न हुआ रामसेना का एक च्यवन, सहदेव, सोमक, पिजवन (पंचजन) आदि वानर (भा. ९. १०.१६; म. व. २७४. २५)। इसने राजाओं का निर्देश ऋग्वेद एवं ब्राह्मणादि ग्रंथों में प्राप्त है। दूषण का छोटा भाई प्रमाथि का वध किया था। ऋग्वेद में वर्णित दाशराज्ञ युद्ध 'सुदास' ने किया था। ३. अमि के अंश से उत्पन्न हुआ रामसेना एक पृषत् राजा का उत्तराधिकारी द्रुपद था। द्रुपद राजा वानर ( वा. रा. कि. ३१)। बिभीषण से मिलने के एवं द्रोणाचार्य के संघर्ष के कारण, पांचाल देश उत्तर ३७३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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