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________________ कार्तवीर्य प्राचीन चरित्रकोश कार्तवीर्य १४७-१५६: विष्णुधर्म २.२३)। हैहयाधिपति मत्त होने | किया । कार्तवीर्य की पत्नी मनोरमा ने इसे युद्ध के कारण, कुमार्ग की ओर प्रवृत्त हुआ। यह अत्रिमुनि पर न जाने के लिये प्रार्थना की, परंतु यह नहीं मानता का अपमान कर रहा है, यह देखते ही कार्तवीर्य को दग्ध यो देख कर उसने प्राणत्याग कर दिया। दत्त के वर से प्राप्त करने के लिये दुर्वास सात दिनों में ही माता के उदर से | इनकी बुद्धि नष्ट हो गई। तदनंतर इसका परशुराम से च्युत हो गया (मार्क. १६.१०१)। दुर्वास दत्त का बडा युद्ध हुआ। अंत में बाहुच्छेद हो कर यह मृत हो गया। भाई था । दत्त की कृपा भी कार्तवीर्य ने संपादन की थी। यह युद्ध गुणावती के उत्तर में तथा खांडवारण्य तदनंतर आदित्य ने विप्ररूप से इसके पास आ कर के दक्षिण में स्थित टीलों पर हुआ (म. द्रो. परि.१.क्र. खाने के लिये कुछ भक्ष्य मांगा। इसने कौनसा भक्ष्य ८. पंक्ति. ८३९ टिप्पणी)। बाद में परशुराम द्वारा दूं, ऐसा उमे पूछा । तब उसने सप्त द्वीप मांगे। परंतु किये गये कार्तवीर्य के वध की वाती जमदग्नि ने सुनी । उन्हें देने के लिये यह असमर्थ दिखने के कारण उसने राम से कहा, 'यह कार्य तुमने अत्यंत अनुचित आदित्य ने कहा, 'तुम पांच बाणों को छोड़ो। उनके किया । क्षमा ब्राह्मण का भूषण है। अब प्रायश्चित के अग्रभाग पर मैं बैलूंगा तथा अपनी इच्छानुसार प्रदेश लिये एक वर्ष तक तीर्थयात्रा करने के लिये जाओ'। खाऊंगा'। यह मान्य कर के इस ने पांच बाण छोड़े। इस कथनानुसार परशुराम तीर्थयात्रा करने के आदित्य ने जो पूर्व तथा दक्षिण के प्रदेश जलाये, उसमें लिये गया। तब पहले बैर का स्मरण कर कार्तवीर्य आपव वसिष्ठ ऋषि का आश्रम भी जला दिया। यह ऋषि के पुत्रों ने ध्यानस्थ जमदग्नि का बाणों से वध वरुण का पुत्र था। वह कार्यवश आश्रम के बाहर, १०००० किया तथा उसका मस्तक ले कर वे भाग गये । परशराम वर्षों तक जल में रहने के लिये गया था। वापस आते ही के लौटने पर, यह वृत्त उसे मालूम हुआ । माता की उसने देखा कि, आश्रम दग्ध हो गया है। उसने कार्तवीर्य | सांत्वना के लिये, उसने इक्कीस बार पृथ्वी निःक्षत्रिय करने को शाप दिया, 'तुम्हारा वध परशुराम रण में करेगा' की प्रतिज्ञा की, तथा उन पुत्रों पर आक्रमण किया। पांच (वायु. ९४.४३-४७; ९५.१-१३. मत्स्य. ४३-४४; / को छोड़ बाकी सब पुत्रों का वध कर के, परशुराम पिता ह. वं. १.३३; पद्म. सु. १२, ब्रह्म, १३; विष्णुधर्म १. का मस्तक वापस ले आया (म. व. ११७; भा. ९.१५, ३१) । कई ग्रंथों में आदित्य के बदले अग्नि भी दिया अग्नि. ४.)।कई स्थानों पर लिखा है कि कार्तवीय ने जमदग्नि गया है (म. शां. ४९.३५)। का वध किया (वा. रा. बां. ७५, प. उ. २४१)। __ काफी दिन बीत जाने के बाद, यह एक बार मृगया | पद्मपुराण में तमाचा लगाने का भी उल्लेख है। के हेतु बाहर गया, तथा घूमते-घूमते जमदग्नि के आश्रम ऊपर दिया गया है कि, इसे हजार हाथ थे, परंतु इसे में गया। वहाँ उमदामि की पत्नी तथा जमदग्नि ने घरेलु तथा अन्य कार्यो के लिये दो हाथ थे (ह. . १. इन्द्र द्वारा दी गई कामधेनु से इसका सत्कार ३३; ब्रह्म. १३)। परंतु इसे सहस्रबाहु नाम था (ह.वं. किया। तब यह जमदग्नि से वह गाय मांगने लगा। १.३३; मत्स्य. ६८; अग्नि. ४; गणेश १.७३)। महाजमदग्नि ने इसे ना कर दिया। तब यह जबरदस्ती उस भारत में लिखा है कि, आपव का आश्रम हिमालय गाय को ले जाने लगा। परंतु उस गाय के आक्रोश से | के पास था। यह आश्रम अग्नि को दे सका, इससे तथा शृंगों से इसकी संपूर्ण सेना एक पल में मृत हो गई। यह स्पष्ट है कि, इसका राज्य मध्यदेश पर होगा। कामधेनु स्वर्ग में चली गई (पन. उ. २४१)। परंतु अयोध्या का राजा हरिश्चन्द्र तथा त्रिशंकु इसके समआखिर कार्तवीर्य यह गाय तथा साथ में उसका बछड़ा ले कालीन थे । यद्यपि मथुरा के शूरसेन देश की स्थापना स्वयं ही गया। इसके पुत्रों ने इसको न मालूम होते ही बछड़ा | शत्रुध्नपुत्र शूरसेन ने की, तथापि लिंगपुराण में वर्णन है चुरा लाया (म. शां. ४९.४०)। कि इसकी स्थापना इसके पुत्र ने की (१.६८)। इसके परशराम तपश्चर्या के लिये गया था। केशव को | सब पुत्रों के लिये स्वतंत्र देश थे (ब्रह्माण्ड. ३.४९)। संतुष्ट कर के अनेक दिव्यास्त्र ले कर वह अपने आश्रम | यह संपूर्ण कथा, जमदग्नि की कामधेनु को मुख्य मान कर में आया। कामधेनु ले जाने का वर्तमान उसे ज्ञात बताई गई है। पद्मपुराण में उसी गाय को सुरभि माना हुआ। तब क्रोध से कार्तवीय पर आक्रमण कर, गया है ( उ. २४१)। वहाँ इक्कीस बार पृथ्वी निःक्षत्रिय नर्मदा के किनारे उसने इसे युद्ध के लिये आमंत्रित करने की प्रतिज्ञा का उल्लेख नहीं है । वहाँ (ब्रह्मांड. ३. १३६
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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