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________________ प्राचीन चरित्रकोश पुरूकुल से निकला हुआ एक ब्राह्मणकुल ( अश्वसूक्तिन् भाषिक शब्दों के लिये स्वर, व्यंजन आदि शब्दों तथा गोसूक्तन् देखिये) । का उपयोग किया है। इससे, तथा कथासरित्सागर के यह ऐन्द्रशाखा का पुरस्कर्ता होने के उल्लेख से प्रतीत होता. है कि, कात्यायन पाणिनि की अपेक्षा भिन्न शाखा का पुरस्कर्ता था । वार्तिको का मुख्य उद्देश्य पाणिनि के सूत्रों का विशदीकरण कर, उन्हें समझने के लिये सरल बनाना है । इसने वाजसनेयी प्रातिशाख्य नामक दूसरा ग्रंथ लिखा है । कात्यायन के पहले भी काफी वार्तिककार हो गये हैं । उनमें से शाकटायन, शाकल्य, वाजप्यायन, व्याडि, पौष्करसादि का इसने उल्लेख किया है । काण्वायन कावपुत्र - कापीपुत्र का शिष्य (बृ. ६.५.१ ) । काण्व्यायन -- एक आचार्य । कात्थक्य -- अर्थविषयक विचार करनेवाला एक आचार्य (नि. ८. ५; ६; ९. ४१ ) । कात्य -- उत्कल काव्य देखिये । कात्यायन - एक आचार्य । इसके १. कात्य, २. कात्यायन, ३. पुनर्वसु, ४. मेधाजित् तथा ५ वररुचि, ऐसे नामान्तर त्रिकांडकोश में दिये गये है । याज्ञवल्क्य का पौत्र तथा कात्यायनपुत्र वररुचि, अष्टाध्यायी का वार्तिककार होने की संभावना है। आंगिरस, कश्यप, कौशिक, व्यामुष्यायण तथा भार्गव गोत्र में भी कात्यायन है । कात्यायन कथासरित्सागर की कथा से प्रतीत होता है कि, कात्यायन पाणिनि का समकालीन होगा। परंतु उपरोक्त जानकारी से पता चलता है कि, पाणिनि तथा इसमें काफी अंतर होना चाहिये । कथासरित्सागर में इसका संबंध नन्द से आया है। इससे कात्यायन का काल अनुमानत: खि. पूर्व ५००-३५० तय किया जा सकता है। पतंजलि ने इसे दाक्षिणात्य कहा है ( प्रियतद्धिता दाक्षिणात्याः, ८) । इसकी एक स्मृति व्यंकटेश्वर प्रेस द्वारा दिये हुए स्मृतिसमुच्चय में है । वह २९ अध्यायों की है, तथा उसमें यज्ञोपवीतविधि, संध्योपासना, अंत्यविधि, आदि विषयों का विवेचन है। महाभाष्य इसके वार्तिकों पर ही लिखा हुआ ग्रंथ है। इसके ग्रंथ-१. श्रौतसूत्र, २. इष्टिपद्धति, ३. कर्मप्रदीप, ४. गृह्यपरिशिष्ट, ५. त्रिकाण्डकसूत्र, ६. श्राद्धकल्पसूत्र, ७. पशुबंधसूत्र, ८. प्रतिहारसूत्र, ९. भ्राजश्लोक, १०. रुद्र विधान, ११. वार्तिकपाट, १२. कात्यायनी शांति, १३. कात्यायनीशिक्षा, १४. स्नान विधिसूत्र, १५. कात्यायनकारिका, १६. कात्यायनप्रयोग, १७. कात्यायनवेद प्राप्ति, १८. कात्यायनशाखाभाष्य, १९. कात्यायन स्मृति (इसका उल्लेख याज्ञवल्क्य, हेमाद्रि, विज्ञानेश्वर आदि ने किया है ), २०. कात्यायनोपनिषद् ( C. C. ), २१. कात्यायनगृह्यकारिका, २२. वृषोत्सर्गादिपद्धति, २३. आतुरसंन्यासविधि, २४. मूल्याध्याय, २५. गृह्यसूत्र, २६. शुक्लयजुः प्रातिशाख्य । इसके साधारणतः छः हजार वार्तिक हैं । वार्तिक की व्याख्या:- इस प्रकार है 'सूत्रेऽनुक्तदुरुक्तचिंता करत्वं वार्तिकत्वम् (नागेशः ), वा उक्तानुक्तदुरुक्तानां चिंता यत्र प्रवर्तते, तं ग्रंथ वार्तिक प्राहुर्वार्तिकज्ञा मनीषिणः ( छाया ) ' । , वार्तिक — कात्यायन एक व्याकरणकार था । इसने ऐन्द्रशाखा का पुरस्कार किया था। इसके मतानुसार उणादिसूत्र पाणिनिकृत हैं । इन सूत्रों का इसने विशदीकरण किया तथा बाद में इसे ही उणादिसूत्रों का कर्ता कहने लगे (विमल सरस्वती कृत 'रूपमाला', दुर्गसिंहकृत कातंत्र का 'कृत् ' प्रकरण ) । कात्यायन ने मुख्यतः पाणिनि के करीब करीब १५०० सूत्रों पर वार्तिक लिखे । वार्तिक के लिये इसे पाणिनि की परिभाषा का उपयोग करना पड़ा, तथापि इसने अच्, हल, अक्, आदि पाणिनीय पारि कात्यायन ने त्रयोदश श्लोकों से युक्त कात्यायन शिक्षा रची । उसपर जयंतस्वामी ने टीका लिखी। इसके नामपर स्वरभक्तिलक्षणपरिशिष्टशिक्षा नामक एक और शिक्षा है । यह शुक्लयजुर्वेद की ही शिक्षा है । परंतु प्रारंभ में काफी संज्ञायें आदि ऋक्प्रातिशाख्य के अनुसार हैं। | १३२ इसकी जानकारी निर्बंधग्रंथ में दिये गये इसके उद्धरण से प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त शंखलिखित, याज्ञवल्क्य (१.४ - ५ ) तथा पराशर ने धर्मशास्त्रकार कह कर इसका निर्देश किया है। बौधायनधर्मसूत्र में कात्यायन का उल्लेख है ( १.२.४७ ) । व्यवहार के बारे में लिखते समय, इसने नारद तथा बृहस्पति के मतों को मान्य समझा है । परिभाषा आदि भी यों ही स्वीकार लिया है। इसने स्त्रीधन के अनेक प्रकार सोचे हैं, तथा स्त्रियों के अधिकार भी लिखे हैं । व्यवहार के बारे में इसके ६०० श्लोक स्मृतिचन्द्रिका में आये हैं। इसने मनु के नामपर दिये उल्लेख मनुस्मृति मे नही मिलते । भृगु के मतों के संबंध में भी ऐसा ही है । इसके श्रौतसूत्र पाणिनि के पहले रचे गये होंगे, परंतु इसकी स्मृति इ. ४००-६०० तक बनी होगी।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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