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हमारे महत्त्वपूर्ण आगामी प्रकाशन भारतवर्षीय अर्वाचीन चरित्रकोश (१८१८ ई.स.-१९६५ के अंत तक)
इस ग्रंथ में अर्वाचीन काल में भारत देश के हरएक प्रांत में उत्पन्न राजकारण, साहित्य, विज्ञान, समाजकारण, धर्मकारण
आदि क्षेत्रों में कार्य करनेवाले व्यक्तियों के जीवनचरित्र साधार एवं सप्रमाण रूप में एकत्रित किये गये है । भारतीय इतिहास के स्वातंत्र्योत्तर कालखंड में उत्पन्न हुए महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की अर्वाचीन चरित्रकोश' में एकत्रित की गयी जानकारी हरएक इतिहासाभ्यासकों के उपयुक्त एवं स्फूर्तिदायक प्रतीत होगी।
'अर्वाचीन चरित्रकोश' का मराठी संस्करण लगभग बीस साल पहले मराठी में प्रकाशित हो चुका था। इसी ग्रंथ का परिवर्धित हिंदी संस्करण अब प्रकाशित हो रहा है, जिसमें मूल ग्रंथ से अधिक ६०० पृष्ठों की नयी जानकारी समाविष्ट की गयी है । इस परिवर्धित ग्रंथ को पृष्ठसंख्या 'डबल क्राऊन' साईज में लगभग १२०० होंगी!