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शुद्धिपत्र
रनेर
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पृष्ठ एवं चरित्र
अगस्त्य अंधीगु झ्यावाश्वि अभिमति आत्मदेव उच्चैःश्रवस कौपयेय ऊजी ऋचीक ऐतश
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रेत कुंभ में स्खलित हुआ
अंधीगु श्यावाश्वि (भा. ६.६.११) नाम धुंधुकारि रखा (जै. उ. ब्रा. ३.२९.१-३) (भा. ४.१.४०-४१) (ह. वं. १.२७) संभवतः ऐतश की होगी २. रेवती २. देखिये। कामकटंकटा (म. आ. ६१.६७) गालवपुत्र शुंगवत् के साथ (म. व. २७१.१७) (म. मौ. ४.२७)
युधिष्ठिर कौडरव्य (वा. रा. कि. २२.२७) (म. शां. २२)
कामकटंकटा काशिराज २. कुणिगर्ग
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कुंभकर्ण
अशुद्ध रेत कमल पर स्खलित हुआ अंधिगु श्यावाश्व (भा.६.११) नाम धुंधुकारी रखा (चै. उ. ब्रा. ३.२९.१-३) (भा. ४.१.३८) (हः वं. ११.७) संभवतः एतश की होगी २..रेवती देखिये। कामकंटका (म. आ.६१-६७) . गांधर्वपुत्र शुंगवत् के साथ (म. व. २७१-१७) (म. मौ..३) युधिष्ठिर कौंटरव्य (वा. रा. कि. २२.२७-३७) (म. शां. २८) (सू. उ.) पृषदाच्य में प्रथम अभिधार तैटिकि (भीम २३ देखिये) (म.. व. २५.९.१०) (भा. ८.१३;) (वायु. १.२४.१६) (धर्म १३. देखिये) (म. अनु. २७१.११. कुं.) (म. आ. १०७.२-१४) (वायु. ९०.२७.५२) निवृत्ति नैधृव मीष्म ने युधिष्ठिर यज्ञ के लिए एकत्रिय अंत में परशुरान ने पराशर के नये सत्र से
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१५६ : कृतवर्मन् १६३ कृष्ण . १६८ कौंडरव्य . १९४ । गोलभ । २०१ 'चक्रवर्तिन् २०३ .. चंद्रगिरि २०७ चरक ३. २४९ नैटीकि .
तोंडमान . . २७८ २९९ देवसावर्णि ३०५ . द्रविडा ३२२ धर्मसूत्र ३२४ धूमोर्णा ३२८. धृतराष्ट्र
पृषदाज्य में प्रथम अभिधार तैटीकि (भीम २४ देखिये) (म. व. २६०.१०) (भा. ८.१३; ३०) (वायु. ८६.१६) (धर्म १६. देखिये) (म. अनु. १६५.११) (म. आ. १०८.२-१५) (वायु. ९२.२७-५२) निर्वृति नैध्रुव भीष्म ने युधिष्ठिर यज्ञ के लिए एकत्रित अंत में परशुराम ने पराशर के नये सत्र को
३७१ निर्वृति ३७६ . नैध्रुव
पंचचूडा
परशुराम जामदग्न्य ३९३ परशुराम जामदग्न्य ३९६ पराशर
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