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कौटिलीय अर्थशास्त्र
विषयसूचि
तत्त्वज्ञान
कौटिलीय अर्थशास्त्र-चर्चित विषय ८८८; भाषाशैली | --वाक्यपदीय (भर्तृहरि) ५५२, वात्स्यायन कामसूत्र ८८८; पूर्वाचार्य ८८८; कौटिलीय अर्थशास्त्र का प्रभाव | (वात्स्यायन) ८२१; वार्तिक (कात्यायन) १३२; ८८९; मेगस्थिनिस के इंडिका से तुलना ८८९ । वाल्मीकि रामायण (वाल्मीकि ) ८३५-८३७; वास्तुशास्त्र
क्षत्रिय ब्राह्मण-भार्गव वंशांतर्गत (भृगु वारुणि) ५८८ । (ब्रह्मन् ) ५११; गीता--अनुगीता (कृष्ण) १६३; ईश्वरगीता (व्यास) --शालिहोत्र तंत्र (शालिहोत्र) ९६५, शुक्लयजुर्वेद; ९२७; उद्धवगीता (कृष्ण)१६३; गणेशगीता (गणपति) शतपथ ब्राह्मण एवं याज्ञवल्क्य स्मृति (याज्ञवल्क्य वाज१८०; बोध्यगीता (बोध्य) ५२३; ब्रह्मगीता (रोम- सनेय ) ६९२-६९३; शांखायन आरण्यक, उपनिषद, हर्षण) ७७३; भिक्षुगीता (हंस) १०९७; मंकिगीता ब्राह्मण, संहिता ९५७; शाट्यायनि ब्राह्मण; श्वेताश्वतर (मंकि) ७९५, यमगीता (यम वैवस्वत) ६७६; विचख्नु उपनिषद (श्वेताश्वतर ) ९४८; संग्रह (ब्याडि) ९१६; गीता (विचख्नु) ४८०; व्यासगीता (व्यास) ९२७; | सत्यापाढ श्रौतसूत्र १११२, सुश्रुत संहिता (सुश्रुत) शंकरगीता (परशुराम) ३९३; शंपाकगीता (शंपाक) | १०७८; हरिवंश (सौति) १०८८ । ९४६; सूतगीता (रोमहर्षण) ७७३; सूर्यगीता.(सूर्य) ग्रन्थों के प्रामाणिक संस्करण--कौटिलीय अर्थशास्त्र १०८२, हरीतगीता (हरित) ११०९; हंसगीता | ८८९; पतंजलि महाभाष्य ३८५, महाभारत १०८८। (हंस)१०९७ ।
चक्रवर्तिन् सम्राट-२०१, पृथु वैन्य ४४२-४५२, गोत्रकार--अंगिरस्कुलोत्पन्न ११; अत्रि १७; कश्यप मांधातृ यौवनाश्व ६४३; ययाति ६८१; युधिष्ठिर ६९६: । ' १२७; भृगु ५८९; वसिष्ठ ८०५, विश्वामित्र ८७५ । सगर १००१।
ग्रह-चंद्र २०२; बुध ५११-५१२, बृहस्पति ११८ चरित्रदोष-- भीष्म ५७७-५७९; राम दाशरथि ७२९; ' ५२०; मंगल ५९६; राहु (स्वर्भानु) ७४९; १०९५, सुग्रीव १०५०। शनि ९४३-९४४ ।
__ जैन धर्म-महावीर वर्धमान जीवनचरित्र १११९; ___ ग्रंथ-अथर्ववेद शिक्षा (मण्डूक) ५९८: अष्टाध्यायी | प्रथम समवशरणसभा ११२०, शिष्यशाखा ११२०; (पाणिनि) ४०७-४०९; आपस्तंब कल्पसूत्र (आपस्तंब) आचार संहिता ११२१; बौद्धधर्म से तुलना ११२३; ६०; आश्वलायन गृह्यसूत्र (आश्वलायन) ६७; परंपरा ११२२; सांप्रदाय ११२२। . --ऐतरेय ब्राह्मण एवं ऐतरेय आरण्यक (महिदास जैनधर्म ग्रंथ---महावीरकृत जैनसूत्र-११२२, ११७४ । ऐतरेय) ६३१; ऋग्वेद सर्वानुक्रमणी (शौनक ) ९८५; । छन्दःशास्त्रज्ञ-पिंगल ४१७; वैयास्क ९११। --का शिका (वामन एवं जयादित्य कृत) ४०९; ज्योतिषशास्त्रकार---गर्ग १८५, पराशर ३९८; भागुरि कौटिलीय अर्थशास्त्र (विष्णुगुप्त चाणक्य) ८८९, ५५५ अन्य ज्योतिषशास्त्रकार ३९८; ज्योतिषशास्त्र के --चरक संहिता (चरक) २०७; छंदःशास्त्र (पिंगल)| पूर्वाचार्य ३९८ । . ४१७; जैमिनि अश्वमेध (जैमिनि) २३६; जैमिनि सूत्र | तत्त्वज्ञान-अजित केशि कंबलिन्'(उच्छेदवाद) १११७; (जैमिनि) २३६,
--कृष्ण १६२, गोशाल मंखलिपुत्त (संसारविशुद्धि-पराशर स्मृति (पराशर) ३९७; पातंजल योगसूत्र | तत्त्वज्ञान) १११७; गौतमबुद्ध ११२८; (पतंजलि) ३८५, पारस्कर गृह्यसूत्र (पारस्कर) ४१४; | --चार्वाक २०९; प्राकृत प्रकाश (वररुचि) ७९७; पितामह स्मृति --पकुध काच्चायन (अशाश्वतवाद) ११२८; पूरण (पितामह ) ४२२; पैप्पलाद ( पिप्पलाद ) ४२९; पौराणिक | कस्सप (अक्रियावाद) १११८; पतंजलि ( योगदर्शन) साहित्य (व्यास पाराशर्य) ९२५-९२७; फिटसूत्र | ३८६; पंचशिख (सांख्य तत्त्वज्ञान) ३८०; पिप्पलाद (शान्तनव) ९६२, ब्रह्मसूत्र (बादरायण) ५०५, बौधा- | ४२६; पैंग्य (पैंग्य मत) ४५५, प्रतर्दन ४६७; बक दाल्भ्य नय सूत्र (बौधायन) ५२४; भगवद्गीता (कृष्ण) १६३ | ४८७; भृगु ७८७; महावीर वर्धमान (अनेकान्तवाद, भारतीय नाट्यशास्त्र (भरत मुनि) ५४१, मनुस्मृति (स्वायंभुव मनु) ६१३-६१५, महाभारत (व्यास | --याज्ञवल्क्य वाजसनेय ६९०-६९१; रैक सयुग्वा पाराशय; वैशंपायन; सौति) ९१६, ९१२, १०८७; मैत्रि ७७०, विदुर (विदुरनीति) ८४५, वृत्र ८९८; व्याँस उपनिषद (मैत्रि).६६४;
पाराशय ९२९; ११९२