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सुधनु .
प्राचीन चरित्रकोश
सुधामन्
४. एक राजा, जिसे मांधातृ ने जीत लिया था (म. २. एक संशप्तक योद्धा, जो भारतीय युद्ध में कौरव द्रो. परि १.८.१५)।
पक्ष में शामिल था। अर्जुन ने इसका वध किया। सुधन्वन्--एक ब्राह्मण, जो धनुर्वेद एवं अर्थशास्त्र में ३. पाण्डव पक्ष का एक राजा, जो भारतीय युद्ध में निष्णात था ( वा. रा. अयो. १००.१४)।
से बचे हुए वीरों में से एक था । इस युद्ध में मृत हुए २. सांकाश्य नगरी का एक राजा, जो सीरध्वज जनक वीरों की औव॑ देहिक क्रियाएँ धौम्य, विदुर, युयुत्सु, राजा का समकालीन था। इसने सीरध्वज की कन्या सीता संजय आदि लोगों ने की, उस समय यह उपस्थित था से विवाह करना चाहा। इसका यह प्रस्ताव सीरध्वज (म. स्त्री. २६.२४.)। द्वारा अस्वीकार किये जाने पर, इसने मिथिला नगरी पर ४. दुर्योधन राजा का एक पुरोहित (म. शां, ४०.५,
आक्रमण किया। पश्चात् हुए युद्ध में यह स्वयं ही मारा | ४४.१४)। गया (वा. रा. बा. ७१.१६-२१)। इसकी मृत्यु के ५. धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । पश्चात् सांगाश्य नगरी पर सीरध्वज का बंधु कुशध्वज ६. (सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो अकर एवं राज्य करने लगा।
अश्विनी के पुत्रों में से एक था (मत्स्य.४५.३३)। ३. (सू. निमि.) विदेह देश का एक राजा, जो विष्णु ७.(सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार के अनुसार शाश्वत राजा का पुत्र था।
दृढ़नेमि राजा का पुत्र था (मत्स्य. ४९.७१)। वायु में ४. (सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार इसे सुवर्मन् कहा गया है। सत्यधृत राजा का, वायु एवं भागवत के अनुसार सत्यहित
८. रुद्रसावर्णि मन्वन्तर का देवगण | का, एवं मत्स्य के अनुसार सत्यधृति राजा का पुत्र था ९. एक दिकपाल, जो पृथु राजा का समकालीन था (विष्णु. ४.१९.८२, वायु. ९९.२२५)| भागवत एवं (मत्स्य.८.९)। मत्स्य में इसे क्रमशः जह्न एवं धनुष कहा गया है। १०. दक्षसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण ।
५. चंपक नगरी के हंसध्वज राजा का कनिष्ठपुत्र, जो ११. रीच्य मन्वन्तर का एक देवगण । अपने पिता के लिखित एवं शंखध्वज नामक दुष्टबुद्धि १२. प्रतर्दन देवों में से एक । प्रधानों के षड़यंत्र के कारण मृत्यु का शिकार बननेवाला १३. काश्मीर देश के भद्रसेन राजा का शिवभक्त पत्र था. किन्तु कृष्णभक्ति के कारण जीवित रहा (लिखित (भद्र सेन ३. देखिये)। २. देखिये)।
१४. उत्तम मन्वन्तर का एक देवगण, जिसमें निम्नसुधन्वन आंगिरस-एक तत्त्वज्ञ आचार्य, जो | लिखित बारह देव समाविष्ट थे :--१. इष; २. ऊर्ज; ३. अंगिरस् ऋषि के पुत्रों में से एक था। इसने पतंचल काप्य | क्षम; ४. क्षाम; ५. सत्य; ६. दमः ७. दान्तः ८. धृतिः की कन्या के शरीर में प्रविष्ट हो कर भुज्यु लाह्यायनि | ९. ध्वनि; १०. शुचिः ११. श्रेष्ठ; १२. एवं सपर्ण नामक आचार्य को आत्मज्ञानविषयक ज्ञान प्रदान किया | (ब्रह्मांड. २.३६.२८)। था। इसी ज्ञान के बल से आगे चल कर भुज्यु लाह्यायनि सुधर्मन् दिशापाल-सात्वत धर्म का एक आचार्य, ने याज्ञवल्क्य वाजसनेय को परास्त करना चाहा (बृ. उ. जो शंखपद नामक आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था (म. १.३.१; भुज्यु लाह्याय नि देखिये)।
| शां. ३३६.३५)। २. अंगिरस ऋषि के पुत्रों में से एक (म. अनु. सुधर्मा--इंद्रसारथि मातलि की पत्नी, जिसकी १३२.४३.) । केशिनी राजकन्या की प्राप्ति के लिए इसने कन्या का नाम गुण केशी था (म. उ. ९५.१९-२०)। विरोचन दैत्य के साथ श्रेष्ठता के संबंध में शर्त लगायी थी, | २. सुराष्ट्र देश के सोमकान्त राजा की पत्नी । जिसमें इसने उसे परास्त किया (म. स. ६१-७६; उ. सुधा--काल नामक रुद्र की पत्नी (भा. ३. ३५; विरोचन १. देखिये)।
| १२.१३)। सुधर्मन-पूर्वदशार्ण देश का एक राजा । भीमसेन | सुधामन्-(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो घृतपृष्ठ ने अपने पूर्व दिग्विजय में इससे युद्ध किया था। पश्चात् राजा के पुत्रों में से एक था। इसका राज्य क्रौंचद्वीप इसके पराक्रम से संतुष्ट हो कर इसे अपना सेनापति | में था (भा.५.२०.२१)। बनाया (म. स. २६.५-६)।
२. चाक्षुष मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । १०५९