SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उकूल प्राचीन चरित्रकोश उग्रसेन उकूल-अंगिरस गोत्रीय एक मंत्रकार । उग्रतीर्थ--भारतीय-युद्ध का दुर्योधनपक्षीय राजा उक्त-(सो. कुरु. भविष्य )। भागवत के मतानुसार | (म. आ. ६१. ६०)। यह निमिचक्रपुत्र है। उग्रदंष्ट्री--(स्वा. प्रिय.) मेरु की कन्या तथा आग्नीउक्थ-स्वाहा का पुत्र । ध्रपुत्र हरिवर्ष की पत्नी। २. (सू. इ.) विष्णु के मतानुसार यह शलपुत्र है। उग्रदृष्टि स्वायंभुव मन्वन्तर के अजित देवों में परंतु भविष्य के मनानुसार यह छम्भकारीपुत्र । इसने | से एक। दस हजार वर्षों तक राज्य किया। | उग्रदेव--तुर्वश तथा यदु के साथ इसका उल्लेख है उक्षण्यायन--हरयाण तथा सुषामन् के साथ इसका । (ऋ. १. ३६, १८, पं. बा. १४. ३. १७; २३, उल्लेख आया है (ऋ. ८.२५.२२) व्यश्वपुत्र विश्वमनस् १६. ११) । इसका पैतृक नाम राजनि ( तै. आ. कृत दानस्तुति में यह सुषामन् का पैतृक नाम है। ५.४.१२)। उक्ष्णोरंध्र काव्य-एक द्रष्टा (पं. ब्रा. १३. ९. उग्रधन्वन--साल्वराजा। भीम ने इसका वध किया | (म. क. ४. ४०)। . उख--तैत्तिरीयों के पितृतर्पण में आने वाला एक | २. यह कैकय का सेनापति था। इसका कर्णपुत्र सुषेण आचार्य । पितृतर्पण में इसका समावेश होने का कारण यह से युद्ध हुआ था । उसमें सुषेण मारा गया (म. क. होगा कि, यह हिरण्य केशियों के से मिलतीजुलती शाखा प्रवृत्त करनेवाला था (स. गृ. २०.८-२०; चरणव्यूह)। __उग्रपुत्र वैदेह--गार्गी ने याज्ञवल्क्य को प्रश्न पूछते पाणिनी ने शाखा प्रवर्तक कह कर इसका उल्लेख किया समय, इसका उत्तम धनुर्धारी कह कर उल्लेख किया है। यह व्यक्ति का नाम न हो कर सामान्य निर्देश है। (बृ. उ. ३. ८.२)। : उख्य--उच्चार तथा संधि के संबंध में कुछ अलग उग्रंपश्या-एक अप्सरा (ते. आ २. ४)। ही मतों का प्रतिपादन करनेवाला एक आचार्य (तै. प्रा. | उग्रवीर्य-महिषासुरानुयायी असुर । ८. २२; १०. २०; १६. २३)। उग्रश्रवस्-लोमहर्षण सूत का पुत्र । इसे सौति उग्र--यातुधान पुत्र । इसका पुत्र वज्रहा। लोमहर्षणि भी कहते हैं (म. आ. १.१)। . २. वारुणि कवि के आठ पुत्रों में कनिष्ठ । २. धृतराष्ट्रघुत्र (म. आ. परि. १.४१. पंक्ति. १९)। . ३. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्रपुत्र । भीम ने इसे मारा उग्रसेन--भीमसेन तथा श्रुतसेन के साथ एक (म. द्रो. १३२. ११३५*)। भां. सं. में उग्रयायिन् पारिक्षितीय तथा जनमेजय का भाई ऐसा इसका निर्देश है। पाठ है। यह अश्वमेध कर के पापमुक्त हो गया (श. बा. १३.५. ४. दिति का पुत्र तथा तीसरे मरुद्गणों में से एक ४.३; जनमेजय देखिये)। यह तथा छठा एक नहीं है। (ब्रह्माण्ड. ३.५. ९४)। २. कश्यप को मुनी से उत्पन्न देवगंधवों में से एक । ५. अमिताभ देवों में से एक। यह सूर्य का सहचर है। ६. भौत्य मनु का पुत्र । ३. (सो. यदु. अंधक) आहुक राजा के दो पुत्रों उग्रक-कद्रूपुत्र। में दूसरा। इसकी पत्नी का नाम पद्मावती (पद्म. भ. ४८. उग्रतप-एक ऋषि । एकबार इसने गोपियों के साथ | ५१)। इसे कंस, सुनामा, न्यग्रोध, कंक, शंकु, सुहू, शृंगारमन कृष्ण का ध्यान किया। इस कारण इसने राष्ट्रपाल, सृष्टि तथा तुष्टिमान् नामक नौ पुत्र, उसी प्रकार गोकुल में सुनंद नामक गोप की कन्या के रूप में जन्म | कंस, कंसावती, कंका, शूरभू तथा राष्ट्रपालिका नामक लिया तथा उस स्थान में इसने श्रीकृष्ण की उत्कृष्ट सेवा पांच कन्यायें थीं। यह पांच वसुदेव के देवभागादि नौ की (पद्म. पा. ७२)। भ्राताओं में से पांच भ्राताओं की स्त्रियाँ थीं। उसका ७९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy