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प्राचीन चरित्रकोश
शूपणखा
उपयुक्त पुत्रों के अतिरिक्त इसकी निम्नलिखित कन्याएँ | शूरसेन-(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो भी थी:-१. पृथा, जो इसने अपने मित्र कुंतिभोज राजा की | मत्स्य के अनुसार शत्रुघ्न राजा का पुत्र था। यह मथुरा में गोद में दी थी, एवं इसी कारण जो कुंती नाम से प्रसिद्ध | राज्य करता था, एवं इसी के ही कारण मधुवन में इसके हुई (म. आ. १०४.१-३; म. द्रो. ११९.६-७) २. | राज्य को 'शूरसेन देश' नाम प्राप्त हुआ था। श्रुतदेवा (श्रुतवेदा); ३. श्रुतश्रवा; ४. राजाधिदेवा (ह. | २. वर्णपुत्र वृषसेन का नामान्तर । वं. १.३४.१७-२३; म. आ. परि. १.४३.३; १०४.१; | ३. हैहय राजा शूर का नामान्तर । भा. ९.२४.२८-३१)
४. एक राजा, जो भारतीय युद्ध में कौरव पक्ष में __ अन्य पत्नियाँ-वायु में इसकी आश्मकी, भाषी एवं | शामिल था। भीष्म के द्वारा निर्माण किये गये कौंचव्यह माषी नामक अन्य तीन पत्नियों का निर्देश प्राप्त है। के ग्रीवाभाग में यह दुर्योधन के साथ खड़ा था ( म. भी. इनमें से भाषी, भोजा का ही नामांतर प्रतीत होता है।। ७१.१७) । अपनी इन पत्नियों से इसे निम्नलिखित पुत्र उत्पन्न हुए । ५. प्रतिष्ठानपुर का एक सोमवंशीय राजा । इसे थे:-१. आश्मकीपुत्रः देवमानुषः २. भाषीपुत्रः-वसुदेव, | कोई पुत्र न था, जिसकी प्राप्ति के लिए इसने अनेकादेवभाग, देवश्रवम् , अनादृष्टि, कड, नंदन भंजिन, श्याम, नेक उपाय किये। अंत में इसे पुत्र के रूप में एक सर्प प्राप्त शमीक. गंडुप, ३. मापीपुत्रः-देवमीढुष (वायु. ९६. हुआ । अपने पुत्र का सर्परूप गुप्त रखने के लिए, इसने १४३-१४८)।
उसके उपनयन विवाह दि संस्कार किये। अंत में गौतमी४. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो इलिन् एवं देवी की कृपा से इसके पुत्र को मनुष्यरूप प्राप्त हआ स्थतरी के पाँच पुत्रों में से एक था। इसके अन्य चार (ब्रह्म. १११)। भाइयों के नाम दुष्यन्त, भीम, प्रवसु एवं वसु थे (म. ६. मध्यदेश के सहस्र ग्राम का राजा, जिसकी कथा आ. ८९.१४-१५)।
'चतुर्थी माहात्म्य' कथन करने के लिए गणेश पुराण में दी
| गयी है (गणेश. १.५६)। . ५. सौवीर देश का एक राजकुमार, जो जयद्रथ राजा का साथी था । जयद्रथ के द्वारा किये गये द्रौपदी-हरण
७. पाण्डवों के पक्ष का एक पांचालदेशीय योद्धा । कर्ण के समय अर्जुन ने इसका वध किया (म. व. २५५.२७)।
| ने इसका वध किया (म. क. ३२.३७)। ६. एक प्राचीन नरेश (म. आ. १.१७२)।
शूरसेनी-पूरुवंशीय प्रवीर मनस्यु राजा की पत्नी । - ७.(सो. यदु. वसु.) वसुदेव एवं मदिरा के पुत्रों में
| इसे श्येनी नामान्तर भी प्राप्त था। पाठभेद-' सौवीरी' से एक।
। (म. आ. ८९.६)।
शूर्पणखा अथवा शूर्पनखी-एक राक्षसी, जो '.. ८. (सो. यदु. वसु.) कृष्ण एवं भद्रा के पुत्रों में से एक ।
विश्रवसू एवं कैकसी की कन्या, तथा रावण, विभीषण एवं ९. मगधदेश का एक राजा, जो दशरथ की पत्नी
कुंभकर्ण की बहन थी। खर एवं दूषण राक्षस इसके मौसेरे सुमित्रा का पिता था । दशरथ के द्वारा किये गये पुत्र
भाई थे। महाभारत में इसकी माता का नाम राका बताया कामेष्टि यज्ञ का निमंत्रण इसे भेजा गया गया था (वा.
गया है, एवं खर एवं दूषण इसके सगे भाई बताये गये हैं रा. बा. १३.२६)।
(म. व. २५९.१४)। शरतर-एक राजा, जिसने पटच्चर राक्षस का वध
___कालकेय राक्षसों का अधिपति विद्यज्जिह्व राक्षस से किया था। भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल |
इसका विवाह हुआ था। आगे चल कर इसका पति रावण था, एवं इसके रथ के अश्व हरे रंग के थे (म. द्रो. २२.
के हाथों अश्मनगरी में गलती से मारा गया। इस कारण यह
लंका नगरी में रहने लगी। कालोपरांत यह अपने मौसेरे शूरभू अथवा शूरभूमि-कंस की कन्याओं में से एक।।
भाई खर के साथ दण्डकारण्य में रहने लगी. (वा. रा. २. उग्रसेन राजा की कन्या, जो वसुदेवभ्राता | उ. २३-२४)। श्यामक की पत्नी थी।
दण्डकारण्य में--वनवास के समय राम के दण्डकारण्य शरवीर माण्डूक्य-एक आचार्य (ऐ. आ. ३.१. में आने पर यह उस पर मोहित हुई। किन्तु एकपत्नीव्रती ३-४; सां आ. ७.२.८.९-१०)। पाटभेद-'शौरवीर'। राम ने इसकी प्रणयाराधना की मज़ाक उड़ायी, एवं इसकी