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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३८ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक । अर्थ आराम पुं ११११ बाग
आहेत पुं ८६१ जैन आरालिक पुं ७२३ रसोइयो
आल न. १०५९ हरताल आराव पुं १४०० शब्द, ध्वनि आलम्भ पुं ३७१ हिंसा . आरेक पुं १४७५ संदेह
आलय पुं ९९० घर.. 'आरेवत' पुं ११४० गरमाळो आलवाल न.. १०९५ क्यारो.. आरोग्य न. ४७४ रोगरहितपणुं
आलस्य न. ३१५ आळस आरोपितविशेषता स्त्री ७० प्रभुबाणीनो आलस्य पुं ३८३ आळसु
३१मी अतिशय | आलान न. १२३१ हाथीने बांधवानो खीलो आरोह पुं६०८ स्त्रीनी केडनो पाछलो भाग | आलाप पुं २७४ परस्पर संबंधीओ साथे आरोह पुं १४३१. ऊंचाई ।
- वात करवी ते आरोहक पुं १११४ (शे. १७३) वृक्ष 'आलाबु' पुं ११५५ तुंबडी आरोहण न. १०१३ पगथियु 'आलाबू' पुं ११५५ तुंबडी आरोहण न. १५१० चढवू, सामे जर्बु आलावत न. ६८८ वस्त्रनो पंखो आर्जुनी स्त्री १०८६ बाहुदा नदी आलास्य पुं १३४९ मगरमच्छ आर्तव न. ५३६ स्त्रीरज
आलि स्त्री ५२९ सखी आई पुं १४९२ भीनु ।
आलि पुं ९६५ पूल, बंध आर्द्रक पुं न. ११८९ आदु
आलि पुं १२११ वींछी आर्द्रा स्त्री ११० आर्द्रा, नक्षत्र
आलि पुं १४२३ पंक्ति, हार, श्रेणि आर्य पुं २३२ बुद्ध
आलिङ्गन न. १५०७ परस्पर भेटवू ते आर्य पुं ३३३ आर्य, नाटकमां वपरातो शब्द आलिङ्गन पुं २९३ गायना पुच्छ जेवं मृदंग आर्य पुं ३७९ सज्जन
आलिङ्ग्य पुं २९३ गायना पुच्छ जेवू मृदंग आर्यपुत्र पुं ३३५ भर्ता, स्वामी 'आलिन्द' पुं १०१० ओटलो आर्या स्त्री २०३ पार्वती
आली स्त्री १२११ वींछी आर्यावर्त पुं९४८ तीर्थंकरादि ६३ शलाका | (आली) स्त्री ९६५ पाळी, पुल
पुरुषोनी जन्मभूमि आली स्त्री १४२३ पंक्ति, श्रेणि आर्षभि पुं ६९२ प्रथम चक्रवर्ती भरत आलीढ न. ७७७ जमणो पग लंबावी डाबा आर्षभ्य पुं १२५९ नपुंसक करवा योग्य बळद | पगने संकोची ऊभा रहेq ते