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- शब्दमाला . ३३९
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ समाकर्षिन् पुं १३९० सुगन्ध समाहार पुं १५२४ समुदाय समाख्या स्त्री २७३ (शि. १८) यश, कीर्ति, | समाहृति स्त्री २५७ अर्थ विशेषनो संग्रह
. वखाण | समाह्वय पुं ४८८ प्राणिद्यूत, कुकडा वगेरे समाघात पुं ७९७ युद्ध, लडाई
ने लडाववा ते समाज पुं ४८१ सभा
| समाह्वय पुं ७९७ युद्ध, लडाई समाज पुं १४१४ पशु सिवायना | समित् स्त्री ७९७ युद्ध, लडाई
प्राणीओनो समूह समिता स्त्री ४०२ घउंनो लोट समाज्ञा स्त्री २७३ यश, कीर्ति, वखाण | समिति स्त्री ४८१ सभा समाधान न. १३७८ समाधान करवू ते समिति स्त्री ७९८. युद्ध, लडाई समाधि पुं ५५ आवती चोवीशीना समितिञ्जयपुं२१९ (शे.७०) विष्णु, नारायण
१७मा तीर्थंकर समितीपद पुं १८८ (शे. ३९) राक्षस समाधि पुं ८५ चित्त अने प्राणोनी ध्येय | समिध स्त्री ८२७ लाकडा
साथे एकता, योग, आठमु अंग | समिर पुं ११०६ पवन, वायु समाधि पुं १३७८ समाधान
समिर पुं २०० (शे. ४६) शंकर समाधि' २७८ (शे. १८) अंगीकार, स्वीकार | समीक न. ७९८ युद्ध, लडाई समान पुं न. ११०९ ते नामनो सर्व सांधा, समीचीन न. २६४ सत्य, साचुं
हृदय अने नाभिप्रदेशमा रहेतो वायु | समीप न. १४५० पासे, नजदीक समान त्रि १४६१ तुल्य, समान, सरखं | समीर पुं.१९०६ वायु, पवन समानोदर्य पुं ५५१ संगो भाई समीरण पुं ११०६ वायु, पवन समापन न. ३७१ हिंसा . . | समुख पुं ३४६ बोलवामां कुशळ समारट न. ६२३ (शे. १२८) मांस | समुच्चय पुं १५२४ समुदाय समालभन न. ६३६ चन्दनादि वडे शरीरने | समुच्छ्य पुं १४३१ ऊंचाई ...
सुगन्धित करवू ते | समुत्त पुं १४९२ भीनुं समास पुं १४३२ संक्षेप, टूंका साररूप । समुत्पिञ्ज पुं ३६६ अति व्याकुल
वचन . समुदय पुं ७९८ युद्ध, लडाई समाहार पुं १४३२ संक्षेप, ढूंका साररूप | समुदय पुं १४११ समूह, समुदाय .. वचन
| समुदाय पुं ७९८ युद्ध, लडाई