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अभिधानचिन्तामणिनाममाला.. ३१८ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शाखिन् पुं १११४ वृक्ष, झाड शान्तिपुं३०४.शान्ति, शान्त रसनो स्थायीभाव शकर पुं १२५७ बळद
| शान्ति पुं ६९३ पांचमा चक्रवर्ती शालिक पुं ९१० मणियार, शंख-छीप शान्ति स्त्री ७५ (शे. २) मोक्ष
वगेरेनां घरेणा बनावी वेंचनार शान्तिक न. ५१८ (शे. ११०) शान्तिक (शाटक) पुं न. ६७५ साडी | क्रियामां सुगंधी जळ वडे करातुं नान शाटी स्त्री ६७५ साडी
शान्तिगृह न. ९९७ यज्ञ स्थल पासे, शाठ्य न. ३७७ माया, लुच्चाई शान्तिगृह, अथर्वण वेदपाठी- शान्तिगृह 'शाइवल' पुं ९५५ लीला घासवाळो देश शान्तियात्रा स्त्री ५१८ (शे. १०९) वरनुं शाण पुंस्त्री ९०९ कसोटीनो पथ्थर, सराण
निमंत्रण शाणाजीव पुं९१६ तलवार वगेरे शस्त्र शान्तीगृह न. ९९७ (शि. ८७) यशस्थळ घसनार, सराणियो
पासेशान्तिगृह शाणी स्त्री ६७९ काणां पडेलु वस्त्र, गुणी शाप पुं २७२ श्राप, निन्दा शाण्डिल्य पुं ११३५ बीली- झाड शाम्बरी स्त्री ९२५ इन्द्रजाळ, बाजीगरनी शात न. १४८४ तीक्ष्ण करेल
विद्या 'शात' न. १३७० सुख
। 'शाम्बुक' पुं १२०५ छीप, शंखला शातकुम्भ न. १०४५. सोनुं
शार पुं स्त्री ४८७ शेतरंज वगेरेनी सोगठी शातकौम्भ न. १०४५ (शि. ९१) सोनुं |'शारङ्ग' पुं १३२९ बपैयो शात्रव पुं ७२८ शत्रु (शत्रुनो समूह) - | शारद पुं ४३३ सरळ, लज्जाळु शाद १०९० कादव
शारद पुं १९७२ पीळा मग शादहरित पुं ९५५ लीला घासवाळो देश | शारद पुं १५९ (शे. २६) वरस शाद्वल पुं ९५५ लीला घासवाळो देश | 'शारद' पुं ११३३ सप्तपर्ण, सात्विन (वृक्ष) शान्त पुं २९५ शान्तरस, नव रस पैकी |'शारदी'स्त्री ११३३ सप्तपर्ण सात्विन (वृक्ष) नवमो रस
शारि स्त्री ४८७ शेतरंज वगेरेनी सोगठी शान्त पुं ८११ इन्द्रियो उपर जय मेळवनार | | शारिका स्त्री २९४ सारंगीनो गज शान्ता स्त्री ४४ श्री सुपार्श्वनाथ भगवाननी | शारिका स्त्री १३३६ मेना, सारिका शासनदेवी
शारिफल न. पुं ४८७ शेतरंज वगेरे रमवानुं शान्ति पुं २८ १६मा तीर्थकर
. खानावाळु लुगडुं