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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २६२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ । | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मेदस् न. ६१९ शरीरनी सात धातु पैकी चोथी धातु
मेह पुं ६३३ मूत्र, पेशाब मेदस् न. ६२४ मेद, चरबी
मेह 'पुं ४७० (शि. ३४) प्रमेह, परमीओ मेदस्कृत् पुं ६२३ मांस
मेहन न. ६१० लिंग, पुरुषचिह्न मेदस्तेजस् स्त्री ६२५ हाडकुं
मैत्र पुं ८१३ ब्राह्मण मेदिनी स्त्री ९३७ पृथ्वी
| मैत्रावरुण पुं ८४६ वाल्मीकि ऋषि मेदुर पुं ४७६ अतिशय स्नेहवाळो . | मैत्रावरुणि पुं १२३ अगस्त्य ऋषि मेदोज न. ६२६ हाडकुं
मैत्रावरुणि पुं ८४६ (शि. ७४) वाल्मीकि मेधा स्त्री ३०९ धारण करनारी बुद्धि
. ऋषि मेधाजित् पुं ८५२ कात्यायन, वररुचि | मैत्री स्त्री ११३ अनुराधा नक्षत्र . मेधातिथि पुं १३३५ (शे. १९६) पोपट | मैत्री स्त्री ७३१ मित्रता, भाईबंधी मेघाविन् पुं ३४१ विद्वान, पंडित मैथिली स्त्री ७०३ सीता, जनक पुत्री मेधाविन् पुं १३३५ (शि. १२०) पोपट | मैथुन न. ५३८ कामक्रीडा, विषय सेवन मेधि पुं ८९४ खळामां बळंद | मैथुनिन् पुं १३२८ (शे. १९४) सारस पक्षी
बांधवा- लाकडं मैनाक पुं १०२८ हिमालयनो पुत्र (पर्वत) मेध्य न. १४३५ पवित्र
मैनाकस्वसृ स्त्री २०४ पार्वती मेनकाप्राणेश पुं १०२७ हिमालय | मैन्द पुं २२० विष्णुनो शत्रु मेनाजा स्त्री २०४ पार्वती
(मैन्दमर्दन) पुं २२१ विष्णु, नारायण मेरक पुं ६९९ त्रीजा प्रतिवासुदेव मैरेय पुं ९०४ मदिरा मेरु पुं १०३१ मेरु पर्वत
मोक्ष पुं ७५ मोक्ष, सर्वकर्मनो क्षय मेरुपृष्ठ पुं ८७ (शे. ३) स्वर्ग मोक्षोपायपुं७७ ज्ञान-दर्शनचारित्ररूपी योग मेर्वद्रिकर्णिका स्त्री ९३८ (शे. १५७) पृथ्वी | मोघ न. १५१६ निष्फळ, व्यर्थ मेलक पुं १५०८ मळवं, संयोग 'मोघा' स्त्री ११४४ कांकच मेला स्त्री ४८४ (शि. ३६) मसी, साही | मोचक पुं ११३४ सरगवो मेष पुं ११६ बार राशि पैकी पहेली राशि | मोचा स्त्री ११३६ केळा मेष पुं १२७६ घेटो
मोटायित न. ५०८ स्त्रीना १० स्वाभाविक मेषशृङ्गपुं ११९७ वनस्पतिजन्य स्थावर विष |
'अलंकार पैकी एक