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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २३६
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ भारवाह पुं ३६३ मजूर, भार उपाडनार भारिक पुं ३६३ भार उपाडनार, मजूर भार्गव पुं ११९ शुक्र
भार्गव पुं ८४८ परशुराम
भास् पुं स्त्री १०० किरण
(भार्गव) पुद्द (प.) शुक्र (भृगुनो पुत्र) भास पुं १३३८ भास पक्षी, 'भार्गवी' स्त्री ११९३ धरो भार्या स्त्री ५१३ पत्नी
भार्यापति पुं ५१९ पति-पत्नी' (बन्ने) भाल पुं न. ५७३ कपाळ, ललाट भालदृश् पुं १९६ शंकर
भालूक पुं १२८९ छ
वि. भाव
भाव पु ३३२ विद्वान, (नाटकनी भाषामा) भाव पुं ५०९ हावभाव, अंगथी उत्पन्न थतो अलंकार
भाव पुं न. १३८३ अभिप्राय भावना स्त्री १३७३ पूर्व संस्कार, वासना, अनुभवेल प्रसंगने न भूलवं ते भावित न. ४१४ धूप, पुष्प वगेरे वडे
वासित करेलुं
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ भाषित न. १४१ वचन, वाणी भाष्य न. २५४ सूत्रमां बतावेल अर्थनो विस्तार करनार
भावित न. १४९० मेळवेलुं भावुक न. ८६ कल्याण, शुभ भावुक पुं ३३२ बनेवी (नाटकनी भाषामां) भाषा स्त्री २४१ सरस्वती, वाणीनी अधिष्ठात्री देवी भाषा स्त्री २८५ संस्कृत आदि छ भाषा
काबर गीध जेवुं पक्ष
भासुर न. ३०३ ( शे. ८९ ) भयानक (देदीप्यमान)
भाल्लूक पुं १२८९ रींछ
भावपुं २९५ सात्त्विक, संचारी, व्यभिचारी भिक्षा स्त्री ८१३ जुदा जुदा घरोमांथी थोडुं थोडुं भोजन ग्रहण करवुं ते भिक्षु पुं ७६ साधु, मुनि भिक्षु पुं ८०७ संन्यास आश्रम, चार आश्रम पैकी चोथो आश्रम भिक्षु पुं ८०९ परिव्राजक, संन्यासी भिक्षुकी स्त्री ५३२ भिक्षुणी, साध्वी भिक्षुणी स्त्री ५३२ ( शे. ११३) भिक्षुणी, साध्वी भिक्षुस घाटी पुं ६७८ मुनिओनुं वस्त्र भित्त न. १४३४ ककडो, टुकडो भित्ति स्त्री १००३ भींत भित्तिका स्त्री १२९८ गरोळी भिद् पुं १० (प.) आ जोडवाथी वधक वाचक शब्द बने छे
भास्कर पुं ९७ सूर्य भास्वत् पुं ९८ सूर्य भिक्षणा स्त्री ३८८ (शे ९५ ) याचना,
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