________________
'
खतर
अभिधानचिन्तामणिनाममाला . १४६ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ तैलस्फटिक पुं १०६८ तेलना वर्ण जेवू | तौलिकिक पुं ९२१ चित्रकार, चितारो
स्फटिक मणि | त्यक्त न. १४७५ छोडी दीधेलं, तजेलं तैलाटी स्त्री १२१५ भमरा जेवी - | त्याग पुं ३८६ दान, त्याग
पांखवाळु जीवडं त्रपा स्त्री ३११ लाज़, शरम तैलिन् पुं ९१७ घांची
त्रपु न. १०४२ (शे. १६०) कलई, सीसुं तैलिक पुं ९१७ (शि. ८०) घांची . | अपुबन्धक न. १०४१ (शे. १६०) सीसुं तैलिशाला स्त्री ९९७ तेलनी पाणी, त्रपुसी स्त्री ११८९ काकडी
घाणीनुं स्थान |त्रयी स्त्री २४९ त्रण प्रकारे वेद तैलीन न. ९६७ तलनु खेतर त्रयीतनु पुं ९८ सूर्य तैष पुं १५२ पोष महीनो
| त्रयीमुख पुं ८११ ब्राह्मण तोक न. ५४२ संतति, छोकरुं
स न. १४५४ जंगम 'तोकक' पुं १३२९ चातक पक्षी . स न. ६०३ (शे. १२५) हृदय तोक्म पुं ११७० लीलो जव
सयोनि पुं स्त्री १३५७ त्रस जीवोनी तोत्र न. ८९३ बळद वगेरे हांकवानो परोणो,
उत्पत्तिनुं स्थान चाबुक
त्रसर पुं ९१३ वणकरचें वणवा- साधन तोत्र न. १२३० वांसनो परोणो .
.. (तासनी) तोदन न. ८९३ बळदादि हांकवानो परोणो, | त्रस्त पुं ३६५ (शे. ९४) बीकण चाबुक
वस्तु पुं ३६५ (शे. ९४) बीकण तोमर पुं न. ७८७ रवैयाना आकारनुं शस्त्र | त्राण न. १४९७ रक्षण करायेखें (तोमर) पुं न. ७८० बाणनो एक प्रकार | त्राण न. १५२३ रक्षण तोय न. १०६९ पाणी
बात न. १४९७ रक्षण करायेखें तोयडिम्भ १६६ (शे. १३०) पाणीना करा | त्रापुष न. १०४३ (शे. १६२) रूप तोयद पुं १८ (प.) मेघ, वादळ त्रायस्त्रिंशपति पुं १७४ (शे. ३१) इन्द्र तोयधि पुं १८ (प.) समुद्र
त्रास पुं ३२१ अकस्मात आवी पडतो भय तोरण पुं न. १००७ महेराब, बहारनुं द्वार त्रासदायिन् पुं ४७९ त्रास आपनार तौर्यत्रिक न. २७९ गति अने |त्रिक न. ६०८ वांसानी नीचे बने वाजिंत्र सहित नृत्य ।
· साथळनी संधिनो भाग