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__ . शब्दमाला . १४३ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ तिलन्तुद पुं ९१७ (शि. ८०) तल पीलनार | तीर्थ न. ८४० (शे. १५३) अंगूठा, मूळ
घांची तीर्थ पुं न. १०८७ तीर्थ, घाट, पाणीनो आरो तिलपर्णिका स्त्री ६४२ रक्त चंदन, रतांजळी | तीर्थकर पुं २४ जिनेश्वर तिलपर्णी स्त्री ६४२ रक्त चंदन, रतांजली | तीर्थंकर पुं २४ जिनेश्वर तिलपिञ्ज पुं ११८० ऊगी न शके तेवा तल | तीर्थपाद पुं २१९ (शे. ६४) विष्णु तिलपेज ११८० ऊगी न शके तेवा तल | तीर्थवाक पुं ५६७ केश, वाळ तिलित्स पुं १३०६ गायना जेवी तीव त्रि १३८५ उष्ण स्पर्श, अत्यंत गरम
- नासिकावाळो सर्प तीव त्रि १५०५ अतिशय, घj तिल्य न. ९६७ तलनुं खेतर.. तीव्रवेदना स्त्री १३५८ नरकनी पीडा तिल्व पुं ११५९ लोध्र, लोधर तुअ: १५४२ (शे. २०१) निश्चय अर्थ बतावनार तिष्य पुं १११ पुष्य नक्षत्र
तु अ. १५४२ (शे. २००) पादपूर्तिमां .. "तिष्यफला' स्त्री ११४५ आमळा .
वपरातो शब्द तीक्ष्ण न. १०३८ लोढुं ।
तुक् स्त्री ५४३ संतति, छोकरूं तीक्ष्ण न. ११९५ विष, झेर | तुकाक्षीरी स्त्री ११५४ वंश लोचन, वांसकपूर तीक्ष्ण त्रि. १३८५ उष्ण स्पर्श, अत्यंत गरम | तुङ्ग न. १४२८ उच्च, उंचुं तीक्ष्णकर्मकृत् पुं ३५४ तीक्ष्ण उपाय वडे | तुङ्गी स्त्री १४३ (शि. ११) रात्रि
कार्य करनार | तुच्छ न. १४२६ नागें, थोडं तीक्ष्णकर्मन् पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार | तुच्छ न. १४४६ शून्य, खाली तीक्ष्णगन्धक पुं. ११३४ सरगवो तुण्ड न. ५७२ मुख तीक्ष्णतण्डुल स्त्री ४२१ (शे. १०२) पीपर | तुण्डिकेरिका स्त्री ११८५ टींडोळा, तीक्ष्णधार पुं ७८२ (शे. १४६) तलवार
गीलोडानो वेलो. तीक्ष्णधारपुं ७८७ (शे. १४९) अस्त्राना जेवू (तुण्डिकेरी) स्त्री ११८५ टींडोळा, . शस्त्र (खरपली)
गीलोडानो वेलो तीक्ष्णशूक पुं ११७० जव | | "तुण्डिकेशी' स्त्री ११८५ टींडोळा तीर न. १०७८ तंट, किनारो, कांठो
| तुण्डिभ पुं ४५८ मोटा पेटवाळो तीरी स्त्री ७८० त्रण भागनुं शर अने एक | तुण्डिल पुं ४५८ मोटा पेटवाळो
. भाग लोढानो होय तेवू बाण | तुत्थ न. १०५२ मोरथुथु