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अभिधानचिन्तामणिनाममालाः . ८४
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ (कुटिलकेश) पुं ५६९ वांकडीया वाळ | कुण्ड पुं ५५० पति जीवता छतां कुटिलाशय पुं३४८ (शि. २२) खराब बोलनार
. जारथी उत्पन्न पुत्र कुटुम्बव्याप्त पुं ४७८ कुटुंब पोषण कुण्ड न. पुं स्त्री १०१९ थाळी, तपेली
करवामां उद्यत | कुण्डगोलक न. ४१६ कांजी, राब कुटुम्बिन् पुं ८९० खेडूत
कुण्डल न. पुं ६५६ कुंडल. कुटुम्बिनी स्त्री ५१३ कुटुंबवाळी स्त्री : | कुण्डलिन् पुं. १३०३ सर्प, नाग (कुटुम्बिनी) स्त्री १४२१ कुटुंबनो समूह | कुण्डा स्त्री २०५ (शे. ५७) पार्वती कुटट्नी स्त्री ५३३ दलाल स्त्री, परपुरूषनो | कुण्डिका स्त्री ८१६ कमण्डलु
. संयोग करावनारी स्त्री | कुण्डिन् पुं १२३३ (शे. १७८) घोडो कुट्टन्ती स्त्री ७८४ (शे. १४८) लांबी छरी, छरो | कुण्डिन न. ९७९ कुंडिनपुर, कुट्टार पुं १०२७ (शे. १५८) पर्वत
विदर्भ देशनी राजधानी कुट्टिम न. पुं ९९२ घरनी पथ्थर वगेरेथी | कुण्डिनपुर न. ९७९ (शि. ८५) कुंडिनपुर
बांधेली भूमि कुण्डिनापुर न. ९७९ (शि. ८५) कुंडिनपुर कुट्टमित न. ५०८ स्त्रीओना स्वाभाविक | कुतप पुं न. १४१ दिवसनो आठमो भाग
अलंकारो . . | कुतप पुं ५४३ भाणेज कुठ पुं १११४ वृक्ष, झाड
(कुतापक) पुं (द्वि.व.) १०३ माठर वगेरे 'कुठर' पुं १०२३ रवैयो बांधवानो खीलो पैकी सूर्यना पारिपाश्विक देवो कुठार पुं स्त्री ७८६ परशु, कुहाडो कुतुक न. ९२६ कौतुक, तमासो कुडङ्ग पुं १११५ लतागृह
कुतुप पुं.न. १०२५ घी, तेल वगेरे भरवानुं (कुडव) पुं ८८६ बे पसली प्रमाण
नानुं चर्मपात्र कुड्मल न. पुं ११२६ अर्ध खोलेली कुतू स्त्री १०२५ घी, तेल वगेरे भरवान
पुष्पनी कळी .. मोटुं चर्मपात्र कुड्य न. १००३ भीत
कुतूहल न. ९२६ कौतुक, तमासो कुड्यमत्स्य पुं १२९८ गरोळी कुत्सा स्त्री २७१ निंदा कुणप न. पुं ५६४ मडईं, क्लेवर । कुत्सित न. १४४२ अधम, हलकुं कुणि पुं ४५३ ढूंठो, हाथनी खोडवाळो | कुथ पुं स्त्री न. ६८० हाथी के रथ कुण्ठ पुं ३५३ क्रियामां आळसु
- उपर नाखवानुं वस्त्र, झूल