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अवयवे
अवस्यु
अवयवे-v.ii. 42 'अवयव' अर्थ में वर्तमान (सङ्ख्यावाची प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में तयप् प्रत्यय होता है)। अवयसि -V..83
(षण्मास प्रातिपदिक से) अवस्था अभिधेय न हो तो . (हो चुका' अर्थ में ठन् तथा ण्यत् प्रत्यय होते है)। अवयाः -VIII. ii.67
दीर्घ किये हुए अवयाः शब्द का सम्बुद्धि में निपातन किया जाता है। ...अवर... -I.1.33
देखें-पूर्वपरावरदक्षिणोत्तरापराधराणि I... 33 ...अवर... -Vills
देखें-परावराघमो०V.iii.5 ...अवरयोगे -III. iv. 18
देखें-परावरयोगे III. iv. 18 ...अवरसमात्-IV. iii.49
देखें- ग्रीष्मावरसमात् IV. iii. 49 'अवरस्मिन् -III. iii. 136 - 'अवर प्रविभाग अर्थात् इधर के भाग को लेकर (मर्यादा कहनी हो तो भविष्यत्काल में धातु से अनद्यतनवत् प्रत्ययविधि नहीं होती है)। अवरस्य-v.ii. 41.
(सप्तमी, पञ्चमी,प्रथमान्त दिशा, देश तथा कालवाची) अवर शब्द को (अस्तात् प्रत्यय के परे रहते विकल्प से अवादेश होता है)। ...अवराणाम् -V. iii.39
देखें - पूर्वाधराov.ii. 39 ...अवराभ्याम् - v. iii. 29
देखे-परावराभ्याम् V. iii. 29 ...अवर्ण... - VI.i. 176
देखें-गोश्वन्साववर्णराडकुड्कृद्ध्यः VI.i. 176 अवर्णम् - VI. ii. 90 (अर्म शब्द उत्तरपद रहते भी) अवर्णान्त (दो तथा तीन अचों वाले महत् एवं नव से भिन्न) पूर्वपद को (आधुदात्त होता है)। अवर्णस्य - VI. iii. 111
(ढकार और रेफ का लोप होने पर सह तथा वह धातु के) अवर्ण को (ओकारादेश होता है)।
अवर्मणः - VI. iv. 170 (अपत्यार्थक अण् के परे रहते) वर्मन् शब्द के अन् को छोड़कर (जो मकार पूर्व वाला अन, उसको प्रकृतिभाव नहीं होता)। अवष्टव्ये - V. ii. 13 " (अद्यश्वीन शब्द निपातित किया जाता है),आसन्न = निकट प्रसव को कहना हो तो । ....अवस् - VIII. 1.70
देखें - अम्नरूधर VIII. ii. 70 अवसमन्धेभ्यः - V.iv.79
अव, सम् तथा अन्ध शब्दों से उत्तर (तमस् शब्दान्त प्रातिपदिक से समासान्त अच् प्रत्यय होता है)। ...अवसा... -III. 1. 141
देखें-श्याव्यया. III. 1. 141 अवसानम् -I. iv. 109 (विराम= वर्णोच्चारण के अभाव की) अवसान संज्ञा होती है। ...अवसानयोः - VIII. iii. 15
देखें-खरवसानयो: VIII. iii. 15 अवसाने -VIII. iv.55 __ अवसान में वर्तमान (झलों को विकल्प करके चर् आदेश होता है)। अवस्करः - VI. I. 143 (अन्न का कचरा अभिधेय हो तो) अवस्कर शब्द में सट आगम का निपातन किया जाता है। ...अवस्करात् -IV. iii. 28
देखें-पूर्वाहणापराहणाo IV. iii. 28 अवस्थायाम् - V. iv. 146
(ककुद-शब्दान्त बहुव्रीहि का समासान्त लोप होता है). समुदाय से अवस्था गम्यमान होने पर। अवस्थायाम् -VI. 1. 115
अवस्था गम्यमान होने पर (तथा सझा एवं उपमा विषय में बहुव्रीहि समास में उत्तरपद शृङ्ग शब्द को आधुदात्त होता है)। ...अवस्युष-VI.1.112 देखें-अव्यादवचात. VI.1. 112
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