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सा
T-IV. ii. 23
प्रथमासमर्थ प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह प्रथमासमर्थ देवताविशेषवाची प्रातिपदिक हो) ।
सा - IV. ii. 57
प्रथमासमर्थ (क्रियावाची घञन्त प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में प्रत्यय होता है)।
... सा... - VII. iii. 37
देखें- शाच्छासाo VII. iii. 37
... साकल्य... - II. 1. 6
देखें - विभक्तिसमीपसमृद्धि II. 1. 6
साकल्ये - III. iv. 29.
सम्पूर्णविशिष्ट (कर्म) उपपद हो (दृशिर् तथा विद् धातुओं से णमुल् प्रत्यय होता है)।
साकांक्षे - III. ii 114
(स्मरणार्थक शब्द उपपद हो तो यत् का प्रयोग हो या न हो तो भी अनद्यतन भूतकाल में धातु से लृट् प्रत्यय विकल्प से होता है) यदि प्रयोक्ता साकांक्ष हो ।
साक्षात् - Vii. 91
साक्षात् प्रातिपदिक से (देखने वाला वाच्य हो तो सञ्ज्ञाविषय में इनि प्रत्यय होता है)।
साक्षात्प्रभृतीनि - I. iv. 73
साक्षात् इत्यादि शब्द (भी कृ के योग में विकल्प से गति और निपातसंज्ञक होते हैं)।
... साक्षि... - II. iii. 39
देखें- स्वामीश्वराधिपतिo II iii. 39
साड :- VIII. iii. 56
(सह् धातु के) सारूप के (सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)।
साठा - VI. iii. 112.
(साढ्यै, सावा तथा) साढा - (ये) शब्द (वेद में निपातन किये जाते है)।
545
साढ्यै — VI. iii. 112
साढ्यै, (सावा तथा साढा-ये) शब्द (वेद में निपातन किये जाते है।
सावा - VI. iii. 112
(साढ्यै) साढ्वा (तथा साढा-ये) शब्द (वेद में निपा
तन किये जाते हैं) ।
सात्... -
.. - VIII. iii. 111
देखें- सात्पदाद्यो: VIII. iii. 111
... साति... - III. 1. 138
-
देखें - लिम्पविदo III. 1. 138
साधकतमम्
... साति... - III. iii. 97
देखें - ऊतियूतिo III. iii. 97 साति - V. iv. 52
(कृ, भू तथा अस् धातु के योग में सम् पूर्वक पद् धातु के कर्ता में वर्तमान प्रातिपदिक से 'सम्पूर्णता' गम्यमान हो तो विकल्प से) साति प्रत्यय होता है। सात्पदाद्यो:- VIII. iii. 11.1
(इण् तथा कवर्ग से उत्तर) सात् तथा पद के आदि के (सकार को मूर्धन्य आदेश नहीं होता) ।
... सात्यमुग्रि...
... - IV. 1. 81
देखें- दैवयज्ञिशौचिवृक्षिo IV. 1. 81 साद... - VI. 1. 41 देखें- सादसादिo VI. ii. 41 सादसादिसारथिषु - VI. ii. 41
साद, सादि तथा सारथि शब्दों के उत्तरपद रहते (पूर्वपद
गो शब्द को प्रकृतिस्वर हो जाता है)।
सादि.. .. - VI. ii. 40 देखें- सादिवाग्यो: VI. ii. 40
... सादि... - VI. ii. 41
देखें- सादसादिo VI. ii. 41 सादिवाम्यो:- VI. ii. 40
सादि तथा वामि शब्द उत्तरपद रहते (पूर्वपद उष्ट्र शब्द को प्रकृतिस्वर होता है)।
... सादृश्य... - II. 1. 6
देखें - विभक्तिसमीपसमृद्धि II. 1. 6
सादृश्ये - VI. II. 11
(सदृश तथा प्रतिरूप शब्द उत्तरपद रहते) सादृश्यवाची (तत्पुरुष समास) में (पूर्वपद प्रकृतिस्वर होता है)।
साधकतमम् - I. iv. 42
(क्रिया की सिद्धि में) जो सब से अधिक सहायक है, वह (कारक करणसंज्ञक होता है)।