________________
समानाधिकरणे
समानाधिकरणे - VIII. 1. 73
समान अधिकरण वाला (आमन्त्रित) पद परे हो, तो (उससे पूर्ववाला आमन्त्रित पद अविद्यमानवत् न हो) । समानाधिकरणेन - II. 1. 48
सुबन्त
पूर्वकाल, एक, सर्व, जरत्, पुराण, नव, केवल शब्द) समानाधिकरण (सुबन्त) के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है)। ... समानाधिकरणेन - II. 1. 11
देखें- पूरणगुणसुहितार्थ II. II. 11.
समानाम् - III. 10
बराबर सङ्ख्या वाले शब्दों के स्थान में (पीछे आने वाले शब्द यथाक्रम होते हैं)।
समानोदरे - IV. iv. 108
(सप्तमीसमर्थ) समानोदर प्रातिपदिक से (शयन किया हुआ' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है तथा समानोदर शब्द के ओकार को उदात्त होता है)।
समापनात् - V. 1. 111
(विद्यमान है पूर्वपद जिसके, ऐसे प्रयोजन समानाधिकरणवाची प्रथमासमर्थ) समापन प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में छ प्रत्यय होता है)।
समाया - V. 1. 84
(द्वितीयासमर्थ) समा प्रातिपदिक से (सत्कारपूर्वक व्यापार', 'खरीदा हुआ', 'हो चुका' तथा 'होने वाला' - इन अर्थों में ख प्रत्यय होता है)।
समास - II. 1. 3
(प्रकृत सूत्र से आगे 'कडारा: कर्मधारये ' से पूर्व विहित अव्ययीभावादि की) 'समास' संज्ञा होती है। यह अधिकार है।
534
समासतौ - III. Iv. 50
सन्निकटता गम्यमान हो तो (तृतीयान्त तथा सप्तम्यन्त उपपद रहते धातु से णमुल् प्रत्यय होता है)।
समासस्य - VI. 1. 27
समास का (अन्त उदात्त होता है)।
... समास - I. 11. 46
देखें - कृतद्धितसमासाः I. II. 46
समांसमाम्
समासात् - V. iil. 106
(इवार्थ विषय है जिसका, ऐसे) समास में वर्तमान प्रातिपदिक से (भी इवार्थ में छ प्रत्यय होता है) । .
समासान्ता: - Viv. 68
(यहाँ से आगे कहे जाने वाले प्रत्यय) समास के एकदेश होंगे।
समासे - 1. II. 43
समासविधायक सूत्रों से (जो प्रथमा विभक्ति से निर्दिष्ट पद, वह उपसर्जनसंज्ञक होता है)।
समासे - I. iv. 8
(पति शब्द) समास में (ही विसञ्ज्ञक होता है)। समासे - VI. ii. 178
समासमात्र में (उपसर्ग के बाद उत्तरपद वन शब्द को अन्तोदात्त होता है)।
समासे - VII. 1. 37
(न से भिन्न पूर्व अवयव है जिसमें, ऐसे) समास में (क्त्वा के स्थान में ल्यप् आदेश होता है) । समासे - VIII. iii. 45
(अनुत्तरपदस्थ इस्, उस् के विसर्जनीय की) समासविषय में (नित्य ही षत्व होता है; कवर्ग, पवर्ग परे रहते) । समासे - VIIL IH. 80
समास में (अङ्गुलि शब्द से उत्तर सङ्ग के सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)।
I
समाहारः - I. 1. 31
समाहार = उदात्त, अनुदात्त उभयगुणमिश्रित (अच् की स्वरित संज्ञा होती है)।
.... समाहारे - II. 1. 50
देखें - तद्धितार्थोत्तरपदo II. 1. 50
समाहारे - V. iv. 107
समाहार द्वन्द्व में वर्तमान (चवर्गान्त, दकारान्त तथा षकारान्त शब्दों से समासान्त टच् प्रत्यय होता है)।
समांसमाम् - V. II. 12
(द्वितीयासमर्थ) समांसमाम् प्रातिपदिक से (बच्चा देती है', अर्थ में ख. प्रत्यय होता है)।