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स
स
VIII. iii. 56
(सह धातु के साहूरूप) सकार को (मूर्धन्य आदेश होता
है) ।
स. - VIII. iit. 62
(अभ्यास के इण से उत्तर ण्यन्त ञिष्विदा, ष्वद तथा पह धातुओं के सकार को) सकारादेश होता है, (पत्वभूत सन् परे रहते भी)।
सक् - VIL II. 73
(यम, रमु णम तथा आकारान्त अङ्ग को) सक आगम होता है (तथा सिच् को परस्मैपद परे रहते इट् आगम होता है)।
सकर्मकात् - 1. III. 53
(उत् उपसर्ग से उत्तर) सकर्मक (चर् धातु) से (आत्मनेपद होता है)।
सकृत् - Viv. 19
(एक शब्द के स्थान में) सकृत् आदेश होता है (तथा सुच् प्रत्यय होता है, "क्रियागणन' अर्थ में)।
.. सक्त... - VII. 1. 18
...
देखें - मन्यमनस् VII. ii. 18
.. सक्तु... - VI. iii. 59
...
देखें
मन्वौदन] VI. III. 59
सक्थम् - VI. ii. 198
(क्र अन्त में 'नहीं' है जिसके, ऐसे अक्रान्त शब्द से उत्तर) सक्थ शब्द को (भी विकल्प से अन्तोदात्त होता है, बहुव्रीहि समास में) ।
सक्थि... - V. iv. 113
देखें व्यणो Viv. 113
-
520
... सक्थि... - VII. 1. 75
देखें- अस्थिदपि VII. 1. 75
सक्छन् - V. Iv. 98
(उत्तर, मृग और पूर्व शब्दों से उत्तर तथा उपमानवाची शब्दों से उत्तर भी) जो सक्धि शब्द, तदन्त (तत्पुरुष) से (समासान्त टच् प्रत्यय होता है ) ।
यक्ष्णोः - V. Iv. 113
(स्वाङ्गवाची) जो सक्थि और अक्षि शब्द, तदन्त से (समासान्त षच् प्रत्यय होता है, बहुव्रीहि समास में) ।
... सक्थ्यो: - V. iv. 121
देखें - हलिसक्थ्यो: V. iv. 121
... सखि... - IV. 1. 79
देखें अरीहणकृशाश्क IV. II. 79
-
संख्यया
... सखिभ्यः - Viv. 91
देखें – राजाहः सखिभ्यः V. Iv. 91 सखी - IV. 1.62
सखी (तथा अशिश्वी
ये) शब्द (भाषा-विषय में स्त्रीलिङ्ग में डी-प्रत्ययान्त निपातन किये जाते हैं)। सख्यम् - VI. 22
(साप्तपदीनम्' शब्द का निपातन किया जाता. मित्रता वाच्य हो तो ।
सख्युः - V. 1. 125
(षष्ठीसमर्थ) सखि प्रातिपदिक से (भाव और कर्म अर्थ में य प्रत्यय होता है)।
सख्युः - VII. 1. 92
(संबुद्धि परे नहीं है जिससे ऐसे) सखि शब्द से उत्तर (सर्वनामस्थान विभक्ति णित्वत् होती है)।
,
सगतिः - VIII. 1. 68
(पूजनवाचियों से उत्तर) गतिसहित विशन्त को (तथा गतिभिन्न तिङन्त को भी अनुदात्त होता है ) । सगर्भ...
IV. iv. 114
देखें - सगर्भसयू० IV. iv. 114 सगर्भसयूथसनुतात् - IV. Iv. 1143
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(सप्तमीसमर्थ) सगर्भ, सयूथ, सनुत – इन प्रातिपदिकों से (वेदविषयक भवार्थ में यन् प्रत्यय होता है) ।
स्कूलादिभ्य IV. 1. 74
सङ्कलादि प्रातिपदिकों से भी चातुरर्थिक अञ् प्रत्यय होता है।
.... सकाश... - IV. 1. 79
देखें - अरीहणकृशाश्व० IV. II. 79
संख्या - 11. II. 25
13310
(संख्येय में वर्तमान) सङ्ख्या के साथ (अव्यय, आसन्न, अंदूर, अधिक और संख्या का विकल्प से समास होता है और वह बहुव्रीहिसञ्ज्ञक होता है) ।