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ष्ठन्-IV. iv. 16
ष्णान्ता -1.1.23 (ततीयासमर्थ भस्वादिगणपठित प्रातिपदिकों से 'हरति' षकारान्त और नकारान्त (संख्यावाची) शब्दों (की षट् अर्थ में) ष्ठन् प्रत्यय होता है।
संज्ञा होती है)। ष्ठन्... - IV. iv. 31
...णिहाम् - VIII. I. 33 देखें- ठन्ष्ठचौ IV. iv. 31
देखें - दुहमुह० VIII. ii. 33 छन् - IV.iv. 53
...ष्णुह... - VIII. ii. 33 (प्रथमासमर्थ किशरादि प्रातिपदिकों से 'इसका बेचना' देखें-द्हमुहO VIII. ii. 33. अर्थ में) ष्ठन् प्रत्यय होता है।
क: - IV.i. 17 ष्ठन् -V.1.45
(अनुपसर्जन यजन्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में प्राचीन (षष्ठीसमर्थ पात्र प्रातिपदिक से 'श्वेत' अर्थ अभिधेय आचार्यों के मत में) ष्क प्रत्यय होता है (और वह तद्धित हो तो) ष्ठन् प्रत्यय होता है।
होता है)। छन् - V.i. 53
फक्-IV.ii. 98 (द्विगुसंज्ञक द्वितीयासमर्थ आढक, आचित तथा पात्र (कापिशी शब्द से शैषिक) फक् प्रत्यय होता है। प्रातिपदिक से 'सम्भव है', 'अवहरण करता है' तथा
ध्यङ्-IV.i.78 'पकाता है' अर्थों में) ष्ठन् प्रत्यय (भी) होता है।
(गोत्र में विहित ऋष्यपत्य से भिन्न अण् और इब् प्रत्यय छन्ष्ठचौ - IV. iv. 31
अन्त वाले उपोत्तम गुरुवाले प्रातिपदिकों को स्त्रीलिङ्ग में) द्वितीयासमर्थ कुसीद तथा दशैकादश प्रातिपदिकों से ष्यङ् आदेश होता है। 'निन्दित वस्तु को देता है'-अर्थ में यथासङ्ख्य करके)
यडः - VI. i. 13 . ष्ठन् और ष्ठच् प्रत्यय होते हैं। ष्ठल् - IV. iv.9
ष्यङ् को (सम्प्रसारण होता है, यदि पुत्र तथा पति शब्द
उत्तरपद हों तो, तत्पुरुष समास में)। (ततीयासमर्थ आकर्ष प्रातिपदिक से 'चरति' अर्थ में)
...व्य.. - VI. iii. 50 . ष्ठल् प्रत्यय होता है।
देखें-शोकष्यत्रोगेषु VI. iii. 50 , ष्ठल-IV. iv.74
ष्य -V.I. 122 (सप्तमीसमर्थ आवसथ प्रातिपदिक से 'बसता है
(षष्ठीसमर्थ वर्णवाची तथा दृढादि प्रातिपदिकों से अर्थ में) ष्ठल् प्रत्यय होता है।
'भाव' अर्थ में) ष्यञ् तथा इमनिच् प्रत्यय होते हैं। आवसथ = आवास,विश्राम-स्थल,छात्रावास।
वुन् -III. I. 145 ष्ठित्... - VII. iii. 75 .
शिल्पी कर्ता अभिधेय हो तो धातुमात्र से) घुन् प्रत्ययः देखें-ष्ठियुक्लमुचमाम् VII. iii. 75
होता है। ष्ठियुक्लमुचमाम् - VII. iii. 75
ष्ठिवु,क्लमु तथा चम् अङ्गों को (शित् प्रत्यय परे रहते दीर्घ होता है।