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शिव...
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शिव.. - IV. iv. 143
देखें-शिवशमरिष्टस्य IV. iv. 143 शिवशमरिष्टस्य -IV. iv. 143 .
(षष्ठीसमर्थ) शिव, शम् और अरिष्ट प्रातिपदिकों से (करनेवाला' अर्थ में स्वार्थ में तातिल् प्रत्यय होता है)। शिवादिभ्यः -V.I. 112
शिवादि प्रातिपदिकों से (तस्यापत्यम्' अर्थ में अण् प्रत्यय होता है)। ...शिशिरी-II. iv. 28
देखें-हेमन्तशिशिरौ II. iv. 28 शिशुक्रन्द... -IV. iii. 88
देखें-शिशुक्रन्दयमसम० IV. iii. 88 शिशुक्रन्दयमसभद्वन्द्वेन्द्रजननादिभ्यः - IV. iii. 88
शिशुक्रन्द, यमसभ, द्वन्द्ववाची तथा इन्द्रजननादिगणप- ठित शब्दों से (अधिकृत्य कृते ग्रन्थे' अर्थ में छ प्रत्यय होता है)। ...शिंशपा.. -VII. iii.1
देखें-देविकाशिंशपO VII. iii.1 शी-VII. 1. 13 (अकारान्त सर्वनाम अङ्ग से उत्तर जस के स्थान में)
स उत्तर जस् क स्थान म) शी आदेश होता है। शी... - VII.1.79
देखें-शीनद्यो: VII.1.79 शीइ.. -I. ii. 19
देखें-शीविदिमिदिदिवदिषः I. ii. 19 ...शी... -I.iv.46
देखें - अधिशीस्थासाम् I. iv. 46 ...शी.. -III. iii. 99 .
देखें-समजनिषद III. 1.99 ...शीइ... - III. iv. 72
देखें- गत्यर्थाकर्मक III. iv. 72 शीड.... - VII. 1.6
शीङ् अङ्ग से उत्तर (झकार के स्थान में हुआ जो अत् आदेश, उसको रुट का आगम होता है)। शीड... - VII. iv. 21
शीविदिमिदिक्ष्विदिपः -1. ii. 19.
शीङ्,जिष्विदा, जिमिदा, जिक्ष्विदा, जिधृषा. - इन धातुओं से परे (सेट निष्ठा प्रत्यय कित् नहीं होता है)। शीत... -v.ii.72
देखें-शीतोष्णाभ्याम् V. ii.72 शीतोष्णाभ्याम् - V.ii. 72 (द्वितीयासमर्थ) शीत तथा उष्ण प्रातिपदिकों से (करने वाला' अभिधेय हो तो कन् प्रत्यय होता है)। शीनद्योः - VII. 1. 80
(अवर्णान्त अङ्ग से उत्तर) शी तथा नदी परे रहते (शतृ प्रत्यय को विकल्प से नुम् आगम होता है)। . ' ...शीय... - VII. iii. 78
देखें-पिबजिघ्र VII. iii. 78. . . शीर्ष शीर्ष... -V.1.64 -visa
. देखें - शीर्षच्छेदात् V. 1.64 शीर्षच्छेदात् - V.i.64 (द्वितीयासमर्थ) शीर्षच्छेद प्रातिपदिक से 'नित्य ही समर्थ है' अर्थ में यत् प्रत्यय भी होता है, यथाविहित ठक
भी)।
शीर्षन-VI.i.59 . वेदविषय में) शीर्षन शब्द का निपातन किया जाता
..शीर्षयोः -III. 1. 48 .
देखें - कुमारशीर्षयोः III. ii. 48 . ...शील... -v.ii. 132
देखें-धर्मशीलov.ii. 132 शीलम् - IV.iv.61
(प्रथमासमर्थ) शील (समानाधिकरणवाची) प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। शुक्राद् - IV. 1. 25
प्रथमासमर्थ शुक्र शब्द से (षष्ठ्यर्थ में घन् प्रत्यय होता है, सास्य देवता' अर्थ में)। ....शुग... - IV.i. 117
देखें-विकर्णशुग V.i. 117
..शुच... - III. ii. 150
को (सार्वधातुक परे रहते गुण होता है)।
देखें-जुचक्रम्य III. ii. 150